देहरादून: उत्तराखंड के चमोली ज़िले में 23 अप्रैल को हिम स्खलन की चपेट में आए सीमा सड़क संगठन के कैंप से अब तक 291 लोगों को बचाया जा चुका है. इलाके से 8 शव भी बरामद किए गए हैं. घटनास्थल से 6 घायल भी निकाले गए हैं, जिनकी हालत नाजुक है.
कई लोग अब भी लापता
चमोली पुलिस के मुताबिक घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. इलाके में सेना, NDRF और BRO मिलकर अभियान चला रहे हैं. भारी हिमपात और भूस्खलन की वजह से बचाव कार्य पूरा होने में अभी कई घंटे लगने की संभावना है. इलाके में अभी भी कई लोग लापता हैं, जिन्हें तलाश करने का काम जारी है.
शुक्रवार शाम को हुआ हिम स्खलन
बताते चलें कि 23 अप्रैल को शाम चार बजे भारत-तिब्बत सीमा के पास भारी हिमपात के कारण हिम स्खलन हुआ जिसकी चपेट में BRO का एक कैंप और उसके पास बने मजदूरों के दो कैंप आ गए. घटना के तुरंत बाद पास में ही तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सेना ने बचाव कार्य शुरू कर दिया. देर रात तक बर्फ में दबे 291 लोगों को मलबे से निकाल लिया गया. बचाए गए लोगों में BRO के अधिकारी और मजदूर शामिल हैं, जो यहां सड़क बनाने का काम कर रहे थे. इन्हें सुरक्षित तरीके से सेना के दूसरे कैंप में पहुंचा दिया गया है.
5 दिनों से हो रही है बर्फबारी
बाराहोती के इस इलाके में पिछले पांच दिनों से भारी बारिश और हिमपात हो रहा है. भू स्खलन की वजह से कैंप तक पहुंचने का रास्ता चार-पांच जगहों पर टूट चुका है. BRO की टीम रास्ते को साफ करने की कोशिश कर रही है, जिससे कैंप तक पहुंचने में आसानी हो. हालांकि इसमें अभी कई घंटे और लगने की संभावना है.
भारत-चीन में रहता है तनाव
चमोली ज़िले का ये इलाका उत्तराखंड के सबसे दुर्गम इलाक़ों में से एक है. यहां बाराहोती मैदान को लेकर भारत-चीन के बीच तनाव बना रहता है. इस इलाक़े में सीमा तक सड़क पहुंचाने का काम चल रहा है. और ये सड़क उन रणनैतिक महत्व की सड़कों में है, जिन्हें चीन के खतरे को देखते हुए बनाया जा रहा है. चीनी सैनिक लगभग हर गर्मी में यहां घुसपैठ की कोशिश करते हैं. इसलिए यहां भारतीय सेना के साथ-साथ ITBP की भी तैनाती रहती है. ये सड़क चमोली जिले के जोशीमठ से मलारी, सुमना, रिमखिम को जोड़ेगी, जो बाराहोती मैदान के पास है.
Bureau Report
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