Author Hrithik Saini
#करनाल : आज किसानों ने करनाल की कृषि मंडी में महापंचायत की। उसमें बड़ी भारी भीड़ जमा हुई।हरियाणा सरकार के प्रशासन की कड़ी पाबंदी के बावजूद भी करनाल कृषि मंडी में किसानों की महापंचायत में लाखों किसान पहुंचे।
आज किसानों महापंचायत को देखते हुये हरियाणा प्रशासन ने करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, कैथल और जींद में इंटरनेट बंद का ऐलान किया है और धारा 144 लगाई है.
एसडीएम पर एफ आई आर दर्ज करने के लिए किसानों ने आज करनाल में महापंचायत बुलाई है। पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेड की है और इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी। SMS सेवाओं पर रोक लगा दी, लेकिन सरकार की रोक के बावजूद। तकरीबन दो लाख से ज्यादा किसान करनाल की मंडी में पहुंच चुके हैं और सरकार के खिलाफ अपना रोष जाहिर कर रहे हैं।
किसान करनाल के एसडीएम आयुष सिंहा पर एफ आई आर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। किसानों का सिर फोड़ने का आदेश देने वाले हरियाणा के करनाल जिले के एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ हरियाणा सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की। इस वजह से किसान संगठन बहुत नाराज है।
हरियाणा के करनाल में 28 अगस्त को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रोग्राम का किसानों ने विरोध किया था। उसी दौरान वहां के ड्यूटी मजिस्ट्रेट आयुष सिंहा का वीडियो भी वायरल हुआ था कि जो पुलिस जवानों को आदेश दे रहे थे कि किसानों का सर फोड़ देना कोई अगर बैरिकेड से आगे आए तो, उसी दौरान पुलिस की लाठीचाज से कई किसान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। करनाल में 28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ किसानों ने महापंचायत बुलाई है. करनाल में 28 अगस्त को बसताड़ा टोल प्लाजा पर लाठीचार्ज में 36 से ज्यादा किसान घायल हो गए थे और कइयों किसान को गंभीर चोटें आई थीं।
करनाल किसानों का सिर फोड़ने का आदेश देने वाले हरियाणा के करनाल जिले के एसडीएम आयुष सिन्हा विवादों के घेरे में हैं। दरअसल एसडीएम आयुष सिन्हा का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह पुलिस को विरोध कर रहे किसानों को पीटने और किसानों का सिर फोड़ने का आदेश दे रहे थे. उनके इस बयान पर किसान नाराज हेैं और उन्होंने एसडीएम को बर्खास्त करने की मांग की है।
हाल ही में 5 सितंबर को किसानों ने मुजफ्फरनगर में महापंचायत की थी, जिसमें ऐतिहासिक भीड़ आई थी.
किसानों की मांग है कि किसानों का सर फोड़ने का आदेश देने वाले SDM पर FIR होनी चाहिए। और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन हरियाणा सरकार एसडीएम को बचाती हुई नजर आ रही है। हरियाणा सरकार ने अभी तक एसडीएम पर कोई कार्रवाई नहीं की है और ना ही कोई एसडीएम के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की। इसको लेकर किसानों में भारी रोष है और किसान नरेंद्र मोदी की सरकार 3 नये कृषि कानून लेकर आई थी, उससे किसान नाराज है। उसी को लेकर के किसान पिछले 9 महीने से दिल्ली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों की मांगें मानने की बजाय उन को इग्नोर कर रही है और सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने साफ कर दिया कि तीनों किसान कानून वापस नहीं होंगे। सिर्फ संशोधन हो सकता है। किसान पिछले 9 महीने से सरकार से बात करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार कहती है कि बातचीत के दरवाजे खुले हैं, लेकिन कौनसे दरवाजे से किसान कहां जाएं और किससे बात करें इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं चल रहा है और ना ही सरकार इस बारे में कुछ बता रही कि किसानों सगठनों से कौन बात करेगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो तीन कृषि कानून नरेंद्र मोदी सरकार लेकर आई थी। केंद्र सरकार ने दावा किया था कि यह तीनों कानून किसानों के हित में है। किसान उन 3 कानूनों को नहीं चाहते। इनको वापस ले लीजिए। यह कानून किसानों के हक में कम और उद्योगपतियों खासकर अंबानी – अडानी के पक्ष में ज्यादा लग रहे हैं । सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है जो कानून किसान नहीं चाहते। उन कानूनों को जबरदस्ती किसानों पर थोपना चाहती है। इसकी क्या वजह है किसान इसी बात को नहीं समझ पा रहे हैं और जो कानून किसान नहीं चाहते, इन कानूनों को सरकार वापस क्यों नहीं ले रही। किसान पिछले 9 महीनों से अन्नदाता दिल्ली के बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहा है लेकिन सरकार! उनकी समस्याओं को सुनने की बजाय सरकार के मंत्री और नेता उनका मखौल उड़ाते हैं। इससे किसान खासे नाराज हैं। किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत उन्होंने पिछले दिनों मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत की है। वहां पर तकरीबन 8 से 10 लाख किसानों कीबड़ी भारी भीड़ रही, सभी किसानों ने एक स्वर में कहा कि हमें यह 3 कानून नहीं चाहिए। अगर केंद्र की सरकार तीनों 3 कानूनों को वापस नहीं लेती है तो राकेश टिकैत ने कहा कि हम बीजेपी के खिलाफ वोट करेंगे और बीजेपी की यूपी में योगी सरकार को हराने का काम करेंगे।
मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत में देश भर से किसान आए थे। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने दावा किया था कि तकरीबन 20 लाख से ज्यादा किसान महापंचायत में आए थे, लेकिन अनुमान है कि 10 लाख से अधिक किसानों की महापंचायत में भागीदारी रही। मुजफ्फरनगर के किसान महापंचायत में देशभर के हर हिस्से से तकरीबन किसान वहां पर पहुंचे, इससे यह तो साफ नजर आ रहा है कि कुछ किसान नहीं ,देश के अधिकांश भागों के किसान इन तीनों कृषि कानूनों से नाराज है।
करनाल प्रसाशन के साथ किसान नेताओं की बातचीत बेनतीजा रही है, SKM के नेता और अनाज मंडी में उपस्थित किसान आगे की रणनीति का मिलकर फैसला करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रशासन के साथ नहीं बनी बात, महापंचायत होकर रहेगी, चाहे अरेस्ट कर लें
किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि हरियाणा प्रशासन के साथ 3 राउंड की बातचीत बेनतीजा रही है. हमने एसडीएम के खिलाफ न्यायोचित कार्रवाई और निलंबन की मांग की है. सरकार उसे मानने के लिए तैयार नहीं है. अब हम महापंचायत में अंतिम निर्णय लेने जा रहे हैं.
भारतीय किसान संघ के महासचिव बद्री नारायण चौधरी ने कहा कि सभी किसानों को समान रूप से लाभकारी मूल्य दिलाने की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ 8 सितंबर को देश के जिला केंद्रों पर धरना प्रदर्शन करेगा. किसानों के आंदोलन पर सरकार को सहानुभूतिपूर्वक सोचना चाहिए.
करनाल में सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही। या तो खट्टर सरकार मांग माने या हमें गिरफ्तार करे। हम हरियाणा की जेलें भरने को भी तैयार-राकेश टिकैत
किसानों की मांगों पर सरकार को पूर्ण विचार करना चाहिए। आखिर अन्नदाता किसान भी अपनी जायज मांगों को लेकर के संघर्ष कर रहे हैं।
यह किसानों के हौसले की उड़ान है। सरकार आप से रोके नहीं रुकेगी। किसान अपना हक लेकर रहेगा।
Bureau Report
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