असम-मेघालय के बीच सीमा विवाद हल करने के लिए किए गए एमओयू पर रोक के खिलाफ दोनों राज्य सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए है। दोनों राज्यों के बीच हुए सहमति के करार पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इसे दोनों ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। शुक्रवार को शीर्ष कोर्ट ने असम व मेघालय की याचिका पर सुनवाई की रजामंदी दे दी। दोनों राज्य उनके बीच हुए समझौते (MOU) के अनुसार सीमा विवाद हल करना चाहते हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है।
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा और असम के उनके समकक्ष हिमंत विश्व शर्मा ने दोनों राज्यों के बीच अक्सर तनाव उत्पन्न करने वाले 12 विवादित क्षेत्रों में से कम से कम छह के सीमांकन के लिए पिछले साल 29 मार्च में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। समझौता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हुआ था। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था। मेघालय हाईकोर्ट की एक एकल पीठ ने समझौते के तहत जमीन पर भौतिक सीमांकन या सीमा चौकियों के निर्माण पर गत वर्ष नौ दिसंबर को अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। अब दोनों राज्यों ने शीर्ष अदालत का रुख किया है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से दाखिल किए गए प्रतिवेदन पर गौर किया। इसमें कहा गया था कि मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है, क्योंकि हाईकोर्ट की एकल और खंडपीठ ने उस अंतर-राज्यीय सीमा समझौते के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है, जिस पर पिछले साल हस्ताक्षर किए गए थे। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम इस पर सुनवाई करेंगे। कृपया याचिका की तीन प्रतियां सौंपें।
दरअसल, असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद 50 साल पुराना है। हालांकि, हाल के दिनों में इसे हल करने के प्रयासों में तेजी लाई गई है। दोनों राज्यों की सीमा करीब 884.9 किमी लंबी है। असम से अलग करके 1972 में मेघालय का गठन किया गया था, लेकिन नए राज्य ने असम पुनर्गठन अधिनियम 1971 को चुनौती दी जिसके बाद 12 सीमावर्ती स्थानों को लेकर विवाद शुरू हुआ।
NTPC प्रमुख ने दी तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) के प्रमुख गुरदीप सिंह की याचिका भी सुनवाई के लिए मंजूर कर ली है। तेलंगाना हाईकोर्ट ने उन्हें अवमानना मामले में दो माह की जेल की सजा सुनाई है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस पीएस नरसिम्हा राव और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सिंह की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई पर सहमति दी। इस मामले में एनटीपीसी अध्यक्ष को कुछ गैर-कार्यकारी कर्मचारियों की नियुक्तियों से संबंधित अवमानना मामले में दो माह की जेल की सजा सुनाई गई है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि वह इस पर सुनवाई करेगी।
बता दें, 31 दिसंबर को तेलंगाना हाईकोर्ट ने एनटीपीसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक गुरदीप सिंह को दोषी ठहराकर सजा दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इस सजा को निलंबित रखते हुए आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए छह सप्ताह का समय दिया था।
Bureau Report
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