अयोध्या: इन दिनों देश के कोने-कोने से भक्त रामलला का दर्शन पूजन करने के लिए पहुंच रहे हैं। वे रामलला का दर्शन कर यहां की रज को माथे लगाते हैं। मंदिर निर्माण के लिए गढ़ी जा रही शिलाओं पर अपना शीश भी नवाते हैं।
भक्तजन, वैकल्पिक गर्भगृह में रामलला का विराजित देखे अभिभूत तो हैं ही, भाव व्यक्त करते हुए कहते हैं कि यहां की रज-रज रामजन्मभूमि जैसी पूज्यनीय है। गढ़ी जा रही शिलायें, मंदिर सदृश हैं। गुरुवार को राम मंदिर से रामलला का दर्शन कर बाहर निकले असम के प्रदीप मंडल रामजन्मभूमि पथ के सामने नारियल की दुकान से एक नारियल खरीदकर उसका जल पीते हुए बोले, भगवान का दर्शन कर धन्य हो गए।
फिर वह यात्री सुविधा केंद्र के निश्शुल्क लाकर में रखे सामान को लेने मित्र के साथ गए। बीच राह में दोनों ने पथ की रज को माथे लगाया। बाद में अयोध्या बाइपास पर ठहरे साथियों से मिलने चल पड़े। दर्शन कर वापस आने वाली महिला पुष्पा ने भी यही क्रम जारी रखा। वह बोलीं यहां की मिट्टी अति पवित्र है।
राम मंदिर देखने को मिला,जिससे आत्मिक खुशी मिली। पुष्पा के साथ रहीं संगीता व गीता ने बताया कि मंदिर को करीब से तो नहीं देख सकी, लेकिन दर्शन मार्ग से निर्माण साफ दिख रहा था। इस बीच झट से गीता बोलीं हम भाग्यशाली है कि भगवान राम के मंदिर के निर्माण के साथ ही उसके लिए गढ़ी जा रही शिलाओं को आकार लेते हुए देखा।
पुष्पा कहती हैं कि गढ़ी शिलायें मंदिर से कम नहीं हैं। दोपहर के दो बज रहे हैं, न्यास कार्यशाला के बाहर आकर कई टेंपो एक साथ रुके। इससे से उतरे गुजरात के राघव भाई पटेल परिवार के साथ परिसर घूमने लगे। वे यहां गढ़ी रखी शिलाओं को निहारते रहे।
उनकी पत्नी शिल्पा आगे बढ़ीं और शिलाओं के सम्मुख माथा नवाया। वह कहती हैं कि ये प्रत्येक शिला हमारे लिए राम मंदिर के समान हैं, इन्हीं से तो आराध्य का मंदिर भव्य रूप से ले रह है। इसी तरह यहां आने वाले श्रद्धालु रामनगरी के कण-कण के प्रति भक्तिभाव में निमग्न दिखे।
Bureau Report
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