जयपुर: शनिवार 7 जनवरी 2017 का दिन मेरी आंखों के तारे इरफान की जिंदगी का खास दिन है। इस दिन इरफान 50 साल का होने जा रहा है। ऐसे में अल्लाह से दुआ है कि वह सौ बरस से भी अधिक जिएं। उसे तमाम जहां की खुशियां नसीब हो… और वह खूब तरक्की करे। लेकिन मुझे अपने हर दिल अजीज इरफान से कहना है कि बेटा कम से कम अपनी सालगिरह पर तो घर आजा। कुछ इसी अंदाज में मां सईदा बेगम ने जयपुर के इस लाडले कलाकार को याद किया और कहा कि ‘बहुत दिनों से तुझे देखा नहीं है, यह आंखों के लिए अच्छा नहीं है…,। बेटा दुनिया की चमक-दमक छोड़ एक नादान परिंदे की माफिक घर वापस आजा। सईदा को अपने बेटे की तड़प कुछ इस कदर सताती है कि वह कहती है कि इरफान अगर मुंबई से जयपुर शिफ्ट हो जाए तो मेरी नजरों के सामने रह सकेगा। उसका मेरे सामने होना ही जिंदगी की सबसे बड़ा तोहफा होगा।
बचपन से ही जुनूनी मिजाज का इरफान जिंदगी में कितनी तेजी से आगे बढ़ गया पता ही नहीं चला। लेकिन अगर एक मां के दिल से पूछा जाए तो चला चलेगा कि इरफान तो चलता और बढ़ता गया, पर मां ठहर सी गई। कई मर्तबा फोन पर बात करता है और तबीयत वगैरह भी पूछता है, पर मेरा मन इससे नहीं भरता है, क्योंकि एक मां का मन तो उसकी औलाद से कभी नहीं भर सकता। अब मेरी उम्र भी 80 की हो रही है। ऐसे में हमेशा यही लगा रहता है कि काश वह जल्दी से आए जाएं और मैं उसे अपने आचंल में छूपा लूं। उधर इरफान खान के भाई सलमान और इमरान कहते हैं कि ज्यादातर इरफान भाई मुंबई में अपनी सालगिरह सेलिब्रेट करते हैं। ऐसे में हम लोग फोन पर मुबारकबाद देते हैं। हमारे बच्चे चाचा से बात करने के लिए उतावले रहते हैं और आस-पड़ौस के रिश्तेदारों की ओर से भी मुबारकबाद के पैगाम आते रहते हैं।
फैंटेसी की दुनिया में हम मशहूर शायर मुनव्वर राणा के शेर पर गौर फरमाएं कि ‘लबों पर उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है जो कभी खफा नहीं होती… इरफान भी इसी तरह का इरादा रखते हैं पर काम में बिजी होने की वजह से मां को वक्त नहीं दे पा रहे हैं। वे सोचते भी होंगे कि ‘अभी जिंदा है मां मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा, मैं जब घर से निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है। एक मुलाकात में इरफान ने राणा के मकबूल शेर ‘जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, मां दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है… सुनाकर मां के प्रति अपनी मोहब्बत को दर्शाया था। हालांकि इरफान शोहरत की बुलंदी पर होने के बावजूद पहले मां के एक बुलावे पर मुंबई छोड़ जयपुर चले आया करते थे।
बेशक उसने अपनी अलग मंजिल तय की है, जिस पर वह पहुंच भी गया है, पर अब उसकी याद सताने लगी है और ऐसा लगने लगा है कि काश ऐसा कोई मंजर आ जाए कि उसका कांधा मेरे सिर पर हो। अब तो दिल में मलाल होने लगा है कि बेटा इतना ज्यादा बिजी हो गया है कि उसे मेरा फोन उठाने का भी व्यक्त नहीं है। खैर बड़े शहरों में ऐसा होना आम होगा, लेकिन जयपुर जैसे शहर में ऐसा नहीं है। आज भी उसके छोटे भाई सलमान और इमरान मेरे एक फोन पर दौड़े चले आते हैं। लेकिन मैं सब समझ सकती हूं कि मेरा लाडला मां की बहुत इज्जत करता है पर उसके पास अपने घरवालों के लिए समय नहीं है। एक दौर हुआ करता था जब उसकी सालगिरह पर घर में खुशी का अलग ही माहौल हुआ करता था। वह अपनी फरमाइश की चीजें बनवाया करता था और मजे से खाकर खुशी भी जाहिर करता था।
इरफान का अपने परिवार में एक अलग दर्जा है। फिलहाल मेरे लाडले की जिंदगी जब से बदली है तब से ही मां का दिल उदास हो गया है। यह उदासी उसकी बुलंदी पर दिल से खुशी भी जाहिर नहीं कर पाती, क्योंकि मेरा तो यह इरादा था कि मेरा लाल जयपुर में रहकर ही कुछ काम करे। मगर उसकी मेहनत और अल्लाह के करम ने उसे बुलंदियों पर पहुंचा दिया। ऐसे में वह मुझसे दूर चला गया। अब तो बस यही चाहत है कि किसी ना किसी तरह से वह मेरे पास आकर रहे, ताकि मैं उसे जी भरकर देख सकूं और उसकी मन पसंद चीजें बना सकूं।
Bureau Report
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