कोटा: घर में यूं कोई दिक्कत नहीं थी। खेती से घर खर्च चल रहा था, लेकिन तीन बच्चों की पढ़ाई अच्छे से हो, इसलिए मां ने घर में हाथ बंटाने के लिए मनरेगा में मजदूरी करना तय किया। तय किया कि ना अच्छा घर चाहिए और ना ही गाड़ी, बस एक ही सपना कि बच्चे अच्छा पढ़ लिख जाएं।
जोधपुर की औसियां तहसील के भीमसागर गांव के किसान तेजाराम और सुमन देवी का सपना अब पूरा होने जा रहा है। किसान परिवार का बेटा बलदेव बिश्नोई अब आईआईटी में प्रवेश लेगा। रविवार को जारी हुए जेईई-एडवांस के रिजल्ट में बलदेव ने 7497वीं रैंक प्राप्त की है। कोचिंग नगरी कोटा ने उसका यह सपना पूरा किया है।
कोटा आकर बहुत सीखा
बलदेव ने बताया कि कोटा में पढऩे वाले स्टूडेंट के लिए सबकुछ है। मैंने तीन साल तक टीवी नहीं देखी और स्मार्ट फोन भी नहीं लिया, पढ़ाई में जुटा रहा। अब आईआईटी में प्रवेश लेकर अच्छा इंजीनियर बनना चाहता हूं। विदेश के बजाए देश में रहकर ही कुछ ऐसा नया करना चाहता हूं जो तकनीक के क्षेत्र में क्रांति साबित हो। बलदेव का छोटा भाई भी कोटा में रहकर कोचिंग कर रहा है। जबकि बड़ा भाई बीएड कर रहा है।
कम खाया-पहना, लेकिन पढ़ाई से समझौता नहीं
बलदेव का कहना है कि तहसील में अभी तक कोई आईआईटीयन नहीं है। आईआईटी में प्रवेश लेने वाला मैं पहला छात्र होऊंगा। माता-पिता ने हर बात से समझौता कर लिया, लेकिन मेरी पढ़ाई को लेकर समझौता नहीं किया।
परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर मां सुमन ने मनरेगा में काम भी किया और परिवार के खर्च में हाथ बंटाया। उनके पास पहनने को अच्छे कपड़े हों या नहीं, खाने को बहुत अच्छा हो या नहीं, लेकिन मेरी पढ़ाई को लेकर हमेशा चिंतित रहे। दसवीं में 72 प्रतिशत अंक आए तो शिक्षकों ने कोटा भेजने की सलाह दी। पिताजी ने दोस्तों से मदद लेकर मुझे कोटा पढऩे भेजा। कोचिंग संस्थान ने भी मेरी ललक देख फीस आधी कर दी। बलदेव की उपलब्धि पर मां सुमन देवी भावुक हैं तो पिता तेजाराम खुश हैं।
Bureau Report
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