Kalam Death Anniversary: नारियल तोडऩे में अपना कॅरियर बनाना चाहते थे एपीजे अब्दुल कलाम

Kalam Death Anniversary: नारियल तोडऩे में अपना कॅरियर बनाना चाहते थे एपीजे अब्दुल कलामजयपुर: पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम बेहद अनुशासनप्रिय थे। उनके लिए काम एक मिशन की तरह था जिसे सफल करने की जिद हर वक्त उन्हें बेचैन करती थी। मिसाइलमैन के नाम से पहचाने जाने वाले कलाम ने भारत को अंतरिक्ष में पहुंचाया और मिसाइल क्षमता प्रदान की। उनकी वजह से ही अग्नि, पृथ्वी जैसी बैलिस्टिक मिसाइलों ने देश की सुरक्षा को मजबूत बनाया। विज्ञान, शिक्षा व नैतिकता के एक संयोजन कलाम की कहानी इस तरह थी…

पूरा नाम 

अबुुल पकीर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम 

जन्म: 15 अक्टूबर, 1931

मृत्यु : 27 जुलाई, 2015

राष्ट्रपति भवन को बनाया प्रयोगशाला 

कलाम जीवनभर एक शिष्य और शिक्षक रहे। उनके लिए कोई भी समय काम का समय होता था। वह अपना अधिकांश समय कार्यालय में बिताते थे। देर शाम तक विभिन्न कार्यक्रमों में उनकी सक्रियता तथा स्फूर्ति काबिलेतारीफ थी। राष्ट्रपति भवन को भी उन्होंने अपनी प्रयोगशाला बना रखा था। जब वे संसद के खचाखच भरे सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति पद की शपथ ले रहे थे तब अतिथियों के साथ देश भर से आए सौ बच्चे भी इस समारोह के खास मेहमान थे। शायद पहली बार देश को एक ऐसा राष्ट्रपति मिला, जिसने राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आम आदमी के लिए खोले थे। सही मायनों में वे आम आदमी के खास राष्ट्रपति थे। 

कलाम की 7 फुट ऊंची कांस्य मूर्ति

रामेश्वरम में जहां कलाम को सुपर्दे खाक किया गया था, वह जगह अब स्मारक और नॉलेज सेंटर में बदल गई। 15 अक्टूबर 2016 को उनकी जयंती पर इसकी नींव रखी गई थी।  तीन एकड़ में फैले इस क्षेत्र को बनाने में 20 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।  इसके गेट पर उनकी 7 फुट ऊंची कांस्य मूर्ति है। इसमें यूएन में उनका भाषण, इसरो और डीआरडीओ में उनके काम आदि के दृश्य को दर्शाया गया है।

ताकतवर भारत का सपना देखा 

वे राजनीतिज्ञ नहीं थे पर अपनी सोच व भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण उन्होंने खुद को राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न साबित किया। 

युवाओं को प्रोत्साहित करने की क्षमता उनमें  बेमिसाल थी। किताब इंडिया 2020 में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कर एक विकसित देश बनने के लिए भारतीयों को प्रेरित किया। 

कलाम तकनीकी विकास की मदद से भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का प्रमुख देश बनते देखना चाहते थे। देश को सुपर पावर बनाने का सपना देखा था। 

1963 में कलाम ने शुरुआती ट्रेनिंग नासा में ली थी। उन्होंने केरल के थुंबा में भारत का पहला रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र स्थापित किया था। 

18 जुलाई 2002 को कलाम ग्यारहवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ।

नासा ने अंतरग्रही यात्रा पर काम करते हुए  नए जीवाणु को खोजा और कलाम के सम्मान में इसे सोलीबैकिलस कलामी नाम दिया। 

कविता लिखते थे और वीणा बजाते थे  

कलाम साहित्य में रुचि रखते थे, कविता लिखते थे और वीणा बजाते थे। कहा यह भी जाता है कि वे कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। उन्होंने अपना जीवन खुली किताब की तरह रखा। अपने बारे में अधिकांश जानकारी उन्होंने अलग-अलग किताबों से दूसरों तक पहुंचाई।

पक्षी क्यों उड़ते हैं, हम क्यों नहीं? जानना चाहते थे…

कलाम अपने जीवन में घटी कहानियों को सुनाकर अक्सर बच्चों को जिंदगी की सीख दिया करते थे। उनका व्यक्तिव इसलिए निखरा क्योंकि बचपन में वे बहुत सवाल करते थे। उनका मन सवालों से भरा रहता था, जिन्हें वह अपने बड़े-बुजुर्गों से पूछा करते थे। उनके मुताबिक सवाल करना बुरा नहीं है, इससे सही और गलत का पता चलता है। वे बहुत सपने भी देखते थे। 

सवाल जिसका जवाब वे तलाशते थे…

पक्षी क्यों उड़ते हैं और हम क्यों नहीं?

सिर्फ पंखों को हिलाने से कोई कैसे आसमान में उड़ सकता है?

क्या दिन के खत्म होने पर सूरज सच में समुद्र में गिर जाता है?

समुद्र की लहरें कहां से आती हैं और कहां को जाती हैं?

मासूम जिज्ञासाओं ने उनकी किताबों और विज्ञान में रुचि पैदा की। फिर उनका सफर एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने तक पहुंचा।

पेड़ों की चोटी से  दूर-दूर तक देख सकते हैं आप

एक समय कलाम एक ऐसे काम करना चाहते थे जिसे समाज में खास नहीं समझा जाता है। अपनी बायोग्राफी ‘माय लाइफ’ में उन्होंने लिखा कि बचपन में वह किसी को पेड़ पर चढ़कर नारियल तोड़ता देख बहुत खुश हो जाते थे। उनके मुताबिक, मेरी पायलट बनने की इच्छा से बहुत पहले, मैं सोचता था कि बड़े होकर नारियल के पेड़ों पर चढऩे वाला बनूंगा और यह मेरे लिए एक शानदार पेशा होगा। आखिर कोई भी उनसे ऊंचा नहीं चढ़ सकता और पेड़ों की चोटी से आप दूर-दूर तक देख सकते हैं।

Bureau Report

 

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