बेंगलुरू: भाजपा ने आज कर्नाटक की कांग्रेस सरकार से सवाल किया कि उसने पत्रकार गौरी लंकेश को सुरक्षा क्यों नहीं मुहैया कराई. पार्टी ने नक्सलियों का आत्मसमर्पण कराने के गौरी के काम का भी जिक्र किया.
पिछले दिनों बेंगलुरू में कुछ अज्ञात हमलावरों ने गौरी के घर के बाहर गोलियों से छलनी कर उनकी हत्या कर दी थी. भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी की ‘अफसोसनाक और दुर्भाग्यपूर्ण हत्या’ पर ‘दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियों’ की निंदा की. उन्होंने कहा कि भाजपा के कई नेताओं ने गौरी की हत्या के खिलाफ बयान दिए हैं.
गौरी के भाई इंद्रजीत लंकेश की टिप्पणियों से जुड़ी खबरों, जिनमें दावा किया गया कि गौरी नक्सलियों के आत्मसमर्पण कराने का काम करती थीं, की प्रतियां दिखाते हुए प्रसाद ने सवाल किया कि सिद्धारमैया सरकार ने दिवंगत पत्रकार को सुरक्षा क्यों नहीं मुहैया कराई.
प्रसाद ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘इंद्रजीत लंकेश ने आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक रूप से कहा है कि उनकी बहन नक्सलियों के आत्मसमर्पण के लिए सक्रिय होकर काम कर रही थीं… तो क्या वह राज्य सरकार की सहमति और मंजूरी से ऐसा कर रही थीं… और यदि ऐसा है तो उन्हें पर्याप्त सुरक्षा क्यों नहीं मुहैया कराई गई?’
उन्होंने कहा कि यह भी कहा जा रहा है कि नक्सली गौरी के इस काम से नाखुश थे. उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सुरक्षा में ऐसी नाकामी क्यों बरती?’ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए प्रसाद ने सवाल किया कि उन्होंने राज्य में अपनी पार्टी की सरकार से सवाल क्यों नहीं किया है.
प्रसाद ने कहा कि राहुल ने तो पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े समूहों को गौरी की हत्या का जिम्मेदार ठहरा दिया है, फिर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार से निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अपनी भावनाएं जाहिर करने के लोगों के अधिकार का भाजपा सम्मान करती है. उन्होंने कर्नाटक और केरल में आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या पर चुप्पी साधने वाले ‘तथाकथित उदारवादियों’ को ‘दोहरे रवैये’ के लिए लताड़ा.
उन्होंने कहा, ‘ऐसा क्यों है कि एक पत्रकार की हत्या के खिलाफ सख्ती और मजबूती से बोलने वाले मेरे सारे उदारवादी मित्र कर्नाटक और केरल में आरएसएस एवं भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या पर चुप्पी क्यों साध लेते हैं? आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ताओं के भी मानवाधिकार हैं. इस पाखंड और दोहरे रवैये की पोल खोलने की जरूरत है.’
Bureau Report
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