गोरखपुर: गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में बीजेपी की राह रोकने के लिए बीएसपी प्रमुख मायावती ने सपा को समर्थन दिया है. इसके बदले में बसपा राज्यसभा में अपने उम्मीदवार को पहुंचाने के लिए सपा से समर्थन चाहती है. दरअसल राज्यसभा की 58 सीटों पर 23 मार्च को चुनाव होने जा रहे हैं. इस सोमवार से चुनावी प्रक्रिया शुरू भी हो गई है. इनमें से 10 राज्यसभा सीटें यूपी की हैं. संख्याबल के लिहाज से इनमें से आठ बीजेपी और एक सपा को मिलनी तय हैं. मामला एक सीट पर फंसा है. इसी के लिए मायावती, सपा से समर्थन लेकर अपने प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर को राज्यसभा भेजने की इच्छुक हैं. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक सपा-बसपा के तालमेल के बावजूद बीजेपी इस सीट को हाथ से आसानी से नहीं जाने देना चाहती. शह-मात के इस खेल में उसने भी किलेबंदी शुरू कर दी है.
आंकड़ों का गणित
बीजेपी के पास अपने सहयोगी दलों के साथ कुल मिलाकर 325 विधायक हैं. इनमें से 312 बीजेपी विधायक और सहयोगी दलों में से अपना दल (सोनेलाल) के पास 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी(सुभासपा) के पास 4 विधायक हैं. सपा के पास 47, बसपा के पास 19 और कांग्रेस के पास 7 विधायक हैं. शेष निर्दलीय हैं. उल्लेखनीय है कि राज्यसभा की एक सीट के लिए तकरीबन 40 वोटों की जरूरत है. इन वोटों के गणित के लिहाज से केवल सपा के समर्थन से ही बसपा का काम नहीं चलेगा. उसको कांग्रेस के सहयोग की भी जरूरत पड़ सकती है. इसके अलावा बीजेपी के सहयोगी दलों पर भी सपा-बसपा की नजरें हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि सुभासपा नेता रामअचल राजभर पिछले दिनों सार्वजनिक रूप से योगी सरकार के कामकाज का विरोध कर चुके हैं. हालांकि वह खुद भी सीएम योगी कैबिनेट में मंत्री हैं.
BJP का गेम-प्लान
सपा-बसपा के ‘तालमेल’ की काट के लिए बीजेपी 2016 की तरह भी गेम-प्लान खेल सकती है. 2016 में बीजेपी संख्या बल नहीं होने के बावजूद इस तरह का दांव आजमा चुकी है. उस वक्त बीजेपी के पास 47 विधायक थे. केंद्रीय मंत्री शिवप्रताप शुक्ल पार्टी की तरफ से इकलौते प्रत्याशी थे लेकिन दूसरी सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्रा को पार्टी ने समर्थन कर दिया था. दरअसल कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी पर्चा भरा था. उनकी राह रोकने के लिए बीजेपी ने निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दिया. बीजेपी के संपर्क में रहने वाले कई विधायकों ने प्रीति को वोट किया और उसके बदले में बीजेपी ने उनको विधानसभा टिकट भी दिया. अब लोकसभा चुनाव बहुत दूर नहीं हैं और बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़ने के इच्छुक दूसरे दलों के कई नेता इसके इशारे पर अपना वोट दे सकते हैं. ऐसे में अगर बीजेपी ने इस तरह के प्रयोग को फिर से आजमाया तो बसपा के प्रत्याशी की राज्यसभा की डगर मुश्किल हो सकती है.
23 मार्च को होंगे चुनाव
इस बीच चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार संसद के उच्च सदन की 16 राज्यों में खाली हो रही 58 सीटों के लिये निर्वाचन प्रक्रिया पांच मार्च को चुनाव अधिसूचना जारी होने के साथ शुरू हो गई है. इन सीटों पर चुनाव के लिये 23 मार्च को मतदान कराया जायेगा और उसी दिन मतगणना भी होगी.
इसी के साथ केरल से राज्यसभा की एक सीट के लिये उपचुनाव भी होगा. यह सीट जदयू सदस्य एमपी वीरेन्द्र कुमार के गत वर्ष 20 दिसंबर को इस्तीफे के कारण रिक्त हुई थी. आयोग द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबिक 13 राज्यों से 50 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल आगामी दो अप्रैल को, दो राज्यों (उड़ीसा और राजस्थान) से छह राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल तीन अप्रैल और झारखंड से दो सदस्यों का कार्यकाल तीन मई को समाप्त हो रहा है.
इनमें उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 10 सदस्यों का कार्यकाल दो अप्रैल को खत्म हो रहा है. वहीं महाराष्ट्र और बिहार से छह-छह, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल से पांच-पांच तथा गुजरात और कर्नाटक से चार चार सदस्यों का कार्यकाल इसी दिन पूरा होगा.
चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक नामांकन की अंतिम तिथि 12 मार्च तय की गई है. वहीं, नामांकन पत्रों की जांच 13 मार्च को होगी और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 15 मार्च है. मतदान 23 मार्च को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक होगा और शाम पांच बजे मतगणना होगी. आयोग ने स्पष्ट किया मतपत्रों के माध्यम से होने वाले मतदान के दौरान मतदाताओं को निर्वाचन केंद्र पर मौजूद निर्वाचन अधिकारी द्वारा खास पेन मुहैया कराया जायेगा. मतदाता सिर्फ इसी पेन से अपनी पसंद के उम्मीदवार को मत दे सकेंगे. किसी अन्य पेन के इस्तेमाल वाले मतपत्र को अमान्य श्रेणी में रखा जायेगा.
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