अमेरिका ने माना, ‘ग्लोबल पावर के तौर पर दर्जा चाहता है भारत, एशिया-प्रशांत में हो रहा मजबूत’

अमेरिका ने माना, 'ग्लोबल पावर के तौर पर दर्जा चाहता है भारत, एशिया-प्रशांत में हो रहा मजबूत'वॉशिंगटन: पेंटागन के शीर्ष गुप्तचर प्रमुख ने अमेरिकी सांसदों से मंगलवार (6 मार्च) को कहा कि भारत एक वैश्विक ताकत के तौर पर दर्जा चाहता है और ऐसे में भारत उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने सामरिक बलों को आवश्यक तत्व मानता है. डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के निर्देशक लेफ्टिनेंट जनरल रॉबर्ट एश्ले ने सीनेट की सशस्त्र सेवा कमेटी के सदस्यों को बताया कि भारत ने स्वदेश निर्मित अपनी पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को सेवा में शामिल कर लिया है और वह अपनी दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात की आपूर्ति लेने की तैयार कर रहा है.

एश्ले ने कहा, ‘‘नयी दिल्ली एक वैश्विक शक्ति का दर्जा चाहता है और उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सामरिक बलों को आवश्यक तत्व मानता है.’’ उन्होंने कहा कि भारत घरेलू स्तर पर और व्यापक हिंद महासागर में अपने हितों की रक्षा के लिए स्वयं को बेहतर स्थिति में रखने के लिए अपनी सेना का लगातार आधुनिकीकरण कर रहा है. भारत इसके साथ ही पूरे एशिया में अपनी कूटनीतिक और आर्थिक पहुंच मजबूत कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘नियंत्रण रेखा पर भारतीय और पाकिस्तानी बलों के बीच भारी गोलीबारी का जारी रहना अनजाने में या धीरे धीरे शत्रुता बढ़ने का खतरा उत्पन्न करता है.’’ उन्होंने कहा कि 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच डोकलाम में लंबे समय तक चले गतिरोध ने भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा दिया था और इससे दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपने बलों की संख्या बढ़ा दी थी.

इससे पहले बीते 4 फरवरी को चीन ने अमेरिका से शीत युद्ध की मानसिकता छोड़ने और उसके सैन्य विकास पर एक निष्पक्ष नजरिया बनाने को कहा. दरअसल, चीन ने पेंटागन की उस रिपोर्ट की आलोचना की है, जिसमें बीजिंग को एशिया में अमेरिकी हितों के खिलाफ एक बड़ी चुनौती के तौर पर दिखाया गया है. पेंटागन ने शुक्रवार को ‘न्यूकलियर पोस्चर रिव्यू’ जारी किया जिसमें इसने कहा है कि अमेरिका चीन को इस निष्कर्ष पर पहुंचने से रोकना चाहता है कि परमाणु हथियारों का किसी तरह का इस्तेमाल (हालांकि सीमित मात्रा में) स्वीकार्य है.

चीन ने कहा कि यह अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट का पुरजोर विरोध करता है. साल 2010 से पेंटागन की प्रथम रिपोर्ट में चीन को एशिया में अमेरिकी हितों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया गया है. यह 74 पन्नों की रिपोर्ट है. चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता रेन गुओकियांग ने कहा कि अमेरिकी दस्तावेज ने संभवत: चीनी विकास के पीछे के इरादों का आकलन किया है और चीन की परमाणु क्षमता को खतरे के तौर पर पेश किया है.

Bureau Report

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