नईदिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट से एजी पेरारिवलन के उस आवेदन को खारिज करने का अनुरोध किया है जिसमें उसने राजीव गांधी हत्याकांड में मई 1999 में खुद को दोषी ठहराए जाने के फैसले को वापस लिए जाने का आग्रह किया है.
सीबीआई ने कहा कि पेरारिवलन का आवेदन खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह विचार योग्य नहीं है. कोर्ट में दायर एक हलफनामे में सीबीआई की एक एजेंसी एमडीएमए ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट दोषी एजी पेरारिवलन की भूमिका का परिणाम पूर्व प्रधानमंत्री और अन्य की हत्या के रूप में निकलने के तथ्य को पहले ही मान चुका है.
एमडीएमए राजीव गांधी की हत्या के पीछे किसी बड़े षड्यंत्र के पहलू की जांच कर रही है. एजेंसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 11 मई1999 के फैसले को वापस लेने के अनुरोध वाला आवेदन विचारयोग्य नहीं है, क्योंकि इसमें पूरे मामले को गुण-दोष के आधार पर फिर से खोलने का आग्रह किया गया है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.
एमडीएमए ने यह भी कहा कि पेरारिवलन की वह याचिका पहले ही खारिज की जा चुकी है, जिसमें उसने मामले में खुद को दोषी ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था.
एजेंसी ने अपने हलफनामे में कहा कि 11 मई1999 के फैसले को वापस लेने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए और आवेदक (पेरारिवलन) पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए.
हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के 24 जनवरी के निर्देश के अनुपालन में दायर किया गया जिसमें सीबीआई से पेरारिवलन की संबंधित याचिका पर जवाब देने को कहा गया था. कोर्ट ने पेरारिवलन द्वारा उठाए गए सवालों को गंभीर और चर्चा किए जाने योग्य करार दिया था.
पेरारिवलन ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को वापस लिए जाने का आग्रह किया है कि वह साजिश के बारे में नहीं जानता था. तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में21 मई1991 की रात एक चुनाव रैली में धनु नाम की मानव बम महिला ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी.
इस हमले में 14 अन्य लोग भी मारे गए थे जिनमें धनु खुद भी शामिल थी. पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या मानव बम हमले की शायद ऐसी पहली घटना थी जिसमें एक बड़े नेता की जान चली गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मई 1999 के अपने आदेश में चार दोषियों- पेरारिवालन, मुरुगन, शांतम और नलिनी की मौत की सजा बरकरार रखी थी.
अप्रैल 2000 में तमिलनाडु के राज्यपाल ने राज्य सरकार की सिफारिश तथा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी की अपील पर नलिनी की मौत की सजा को बदल दिया था. कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को पेरारिवलन और दो अन्य-शांतन और मुरुगन की मौत की सजा को घटाकर इस आधार पर उम्रकैद में तब्दील कर दिया था कि उनकी दया याचिकाओं पर फैसला करने में केंद्र ने 11 साल की देरी की.
पेरारिवलन ने अपने आवेदन में कहा है कि उसे नौ वोल्ट की दो बैटरियों के आधार पर दोषी ठहराया गया जिनका राजीव गांधी की जान लेने वाले आईईडी में कथित इस्तेमाल हुआ था. सीबीआई के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वी त्यागराजन ने आतंकी एवं विध्वंसक गतिविधि (रोकथाम) कानून के तहत पेरारिवालन का इकबालिया बयान दर्ज किया था.
पेरारिवलन के आवेदन में दावा किया गया कि सीबीआई के पूर्व अधिकारी ने अपने हलफनामे में उल्लेख किया था कि पेरारिवालन ने अपने इकाबलिया बयान में कहा था कि बैटरियों की खरीद के समय उसे बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी कि बैटरियों का इस्तेमाल किस काम में किया जाना है.
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