हैदराबाद: 2019 के आम चुनावों के लिहाज से क्या माकपा(सीपीएम) को बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस सहित ‘सभी धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक ताकतों’ से हाथ मिलाना चाहिए? या सीपीएम को अपने दम पर बीजेपी को हराने की कोशिश करनी चाहिए? इन दोनों धाराओं में से किसी राजनीतिक लाइन को चुना जाए? देश की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी माकपा इस विषय पर दो धड़ों में बंट गई है. यह विभाजन माकपा की यहां शुरू हुई कांग्रेस में भी देखने को मिल रहा है. कांग्रेस के साथ तालमेल के समर्थक सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी को माना जा रहा है. दूसरी तरफ ‘एकला चलो’ की लाइन वरिष्ठ नेता प्रकाश करात की है. वह किसी भ्ाी दल के साथ तालमेल के विरोधी माने जाते हैं.
गुप्त मतदान की मांग
माकपा में राजनीतिक रणनीतिक दिशा को लेकर मतभेद इस स्तर पर पहुंच गए हैं कि पार्टी कांग्रेस में महाराष्ट्र से एक प्रतिनिधि ने गुरुवार को इस पर गुप्त मतदान की अप्रत्याशित मांग कर डाली. माकपा की कांग्रेस में पहले ऐसी मांग कभी नहीं की गई थी. यह मांग करने वाले प्रतिनिधि ने राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे पर चर्चा के पहले दिन अपने भाषण में महाराष्ट्र में हाल में हुए किसानों के विशाल प्रदर्शन का जिक्र किया.
समझा जाता है कि प्रतिनिधि ने कहा कि माकपा की किसान शाखा अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) राजनीतिक सरोकारों से ऊपर उठकर किसानों को एकजुट करने में सफल रही. उन्होंने कहा कि यदि पार्टी ने धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के बीच फर्क किया तो बीजेपी मौके का फायदा उठा लेगी. पार्टी के एक नेता ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया, ”उन्होंने (महासचिव) सीताराम येचुरी की राय के अनुसार किसानों का मुद्दा उठाते हुए गुप्त मतदान पर जोर दिया.” हालांकि दस्तावेज में संशोधनों को शामिल करने के लिए गुप्त मतदान के प्रावधान पर माकपा के संविधान में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है. पार्टी कांग्रेस में यदि प्रस्ताव के मसौदे को स्वीकार कर लिया गया तो इससे अगले तीन साल के लिए माकपा की राजनीतिक दिशा को अंतिम रूप दिया जाएगा. माकपा कांग्रेस में करीब 1,000 प्रतिनिधि और आमंत्रित सदस्य हिस्सा ले रहे हैं.
सीताराम येचुरी और प्रकाश करात
माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात का खेमा कांग्रेस के साथ किसी तरह के तालमेल के खिलाफ है जबकि मौजूदा महासचिव येचुरी का खेमा बदले हुए हालात में बीजेपी से लड़ने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों से हाथ मिलाने के पक्ष में है. गुप्त मतदान की मांग के बारे में पूछे जाने पर येचुरी ने कहा कि ऐसी मांग पर विचार करना संचालन समिति पर निर्भर है जिसका चुनाव पार्टी कांग्रेस द्वारा किया जाता है.
येचुरी ने यहां पत्रकारों को बताया, ”हमारी कांग्रेस में सामान्य चलन यह है कि यदि कोई व्यक्ति किसी संशोधन पर जोर देता है तो मतदान कराया जाता है. वरना, कांग्रेस की ओर से चुनी गई संचालन समिति सभी संशोधनों पर विचार करती है और पार्टी कांग्रेस को प्रस्ताव देती है.” उन्होंने कहा, ”यदि कोई गुप्त मतदान के लिए जोर देता है तो संचालन समिति इस पर विचार करती है. कोई निर्धारित प्रक्रिया नहीं है. लेकिन सामान्य चलन में हाथ खड़े करके ऐसा किया जाता है.”
कुछ प्रतिनिधियों के मुताबिक, येचुरी के रुख का समर्थन करने वालों का मानना है कि बगैर किसी चुनावी गठबंधन के कांग्रेस के साथ तालमेल के लिए दरवाजे खुले रखने चाहिए. समझा जाता है कि पार्टी की पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड इकाइयों से इस सोच को अच्छा समर्थन प्राप्त है. जबकि येचुरी की राय का विरोध करने वालों को केरल, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के कुछ प्रतिनिधियों से समर्थन मिल रहा है.
राजनीतिक दिशा के मुद्दे पर पार्टी में मूड को देखते हुए केंद्रीय समिति मतदान से परहेज करने के विकल्पों पर विचार करती नजर आ रही है. संचालन समिति और पोलित ब्यूरो के एक सदस्य ने बताया, ”हमें मूड का अहसास हो गया है. लेकिन हम देखेंगे कि मतदान से परहेज के लिए क्या किया जा सकता है?” इस पर चर्चा शुक्रवार को भी जारी रहने की संभावना है.
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