Crypto-jacking के जरिए होती है हैकिंग, बैटरी और Processing power का होता है इस्तेमाल.

Crypto-jacking के जरिए होती है हैकिंग, बैटरी और Processing power का होता है इस्तेमाल.नईदिल्ली: आपने ये महसूस किया होगा कि कई बार आपके फोन की बैटरी अचानक Discharge होने लगती है, और फोन गर्म होने लगता है. इस समस्या को अक्सर आप नज़रअंदाज़ कर देते हैं और फोन को Restart करके, पूरे मामले को भूल जाते हैं. लेकिन आपको इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए, ये Crypto-jacking हो सकती है. ये शब्द आपने पहले कभी नहीं सुना होगा, लेकिन आज आपको इसके बारे में जान लेना चाहिए. ये एक ख़ास तरह की हैकिंग है, जिसकी मदद से आपके फोन और कंप्यूटर सिस्टम को Hack करके, उसकी बैटरी और Processing power का इस्तेमाल इंटरनेट के ज़रिए किया जाता है. यानी फोन आपके हाथ में होता है और उसका इस्तेमाल कोई और कर रहा होता है.

Crypto-jacking का इस्तेमाल Bitcoin और Monero जैसी Crypto-currency कमाने के लिए किया जाता है .इस काम के लिए बहुत ज़्यादा Processing power की ज़रुरत पड़ती है, जो बहुत महंगी होती है इसलिए Hackers एक Software ((java Script)) की मदद से लोगों के फोन और कंप्यूटर को hack कर लेते हैं और फिर उनके मोबाइल फोन या कंप्यूटर की Processing power का इस्तेमाल चुपचाप करते रहते हैं . 

ख़ासतौर पर फोन पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है. फोन को लगातार हर वक़्त अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करना पड़ता है. और इस Overload की वजह से फोन की बैटरी और दूसरे Parts पर बहुत बुरा असर पड़ता है. इसकी वजह से फोन ज़्यादा गर्म होने लगता है . इस तरह पूरी दुनिया में हज़ारों लोगों के फोन और कंप्यूटर्स की Processing Power का थोड़ा-थोड़ा इस्तेमाल करके… बहुत बड़े स्तर पर Data Processing की जाती है और उससे bitcoin कमाए जाते हैं.Crypto-jacking करने के लिए Hackers आपको Websites पर अनचाहे link भेजते हैं जिन्हें आप लापरवाही से Click कर देते हैं.

इसके अलावा कई Fake विज्ञापन या आकर्षक Offers के मेल भेजे जाते हैं और उन्हें क्लिक करते ही आपके फोन में Background में हैकर का काम शुरू हो जाता है एक सर्वे के मुताबिक 2017 में दुनियाभर में Crypto-jacking के मामले 8 हज़ार 500 प्रतिशत बढ़े हैं…. और हमारा देश भारत इस मामले में दुनिया में 9वें नम्बर पर है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब 46 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. वर्ष 2021 तक ये संख्या बढ़कर करीब 83 करोड़ हो जाएगी. ऐसे में आपको इंटरनेट वाले ट्रैफिक में बहुत संभलकर कर चलने की ज़रूरत है. सड़क वाले ट्रैफिक की तरह ही इंटरनेट वाले ट्रैफिक में भी एक ज़रा सी लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है.

Bureau Report

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*