नईदिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट मुंबई से अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित बुलेट (Bullet) ट्रेन परियोजना अधर में लटक सकती है. क्योंकि आम और चीकू उगाने वाले महाराष्ट्र के किसान बुलेट ट्रेन कॉरिडोर बनाने के लिए अपना खेत देने को तैयार नहीं हैं. महाराष्ट्र के किसानों ने परियोजना के लिए प्रस्तावित जमीन अधिग्रहण के खिलाफ धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है, जिसका दायरा लगातार बढ़ रहा है. उनकी मांग है कि उन्हें पहले वैकल्पिक रोजगार की गारंटी दी जाए तब वह बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए अपना खेत देंगे. किसानों का यह विरोध प्रदर्शन मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना में रोड़ा बन सकता है. साथ ही दिसंबर 2018 तक परियोजना के लिए जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया भी लटकेगी. इस परियोजना में भारत को जापान का समर्थन हासिल है. इसमें करीब 17 अरब डॉलर का खर्च आएगा.
108 किमी लंबा ट्रैक बिछाने की है योजना
मोदी सरकार ने किसानों को जमीन के लिए बाजार मूल्य से 25 फीसदी अधिक प्रीमियम का रेट ऑफर किया है. अगर इस परियोजना में किसी तरह की दिक्कत आती है तो जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी परियोजना की फंडिंग रोक देगी. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक वह इस परियोजना की अगले माह समीक्षा करेगी. रेलवे से जुड़े दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि जापान की चिंता दूर करने के लिए इस माह एक महत्वपूर्ण बैठक प्रस्तावित है, जो टोक्यो में होगी. इसमें परिवहन मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे.
कंपनी ने किसानों से की थी चाय पर चर्चा
बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का निर्माण नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) कर रही है. कंपनी इस परियोजना से प्रभावित किसानों के मुद्दों के निराकरण के लिए उनसे बातचीत कर रही थी. कंपनी के प्रवक्ता धनन्जय कुमार ने कहा था कि हम इस विशाल परियोजना के प्रभावितों के साथ सद्भावपूर्ण संबंध और समर्थन चाहते हैं. इसलिए हमारे अधिकारी प्रभावितों के साथ सार्वजनिक स्थानों पर चाय पर चर्चा करेंगे. इस दौरान वे परियोजना से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बात करेंगे. अधिकारी ने बताया कि भूमि अधिग्रहण की समयसीमा दिसंबर 2018 तक है और महाराष्ट्र और गुजरात दोनों राज्यों में इस पर काम शुरू हो चुका है.
Bureau Report
Leave a Reply