नईदिल्ली: छात्र जीवन में ही राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाकर अनुशासित युवाओं की फौज तैयार करने का सरकार विचार बना रही है. इसके तहत हर साल 10 लाख छात्र-छात्राओं को 12 महीने की मिलिट्री ट्रेनिंग देने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है. इसके तहत मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान 10वीं और 12वीं की पढ़ाई कर कॉलेज जाने वाले छात्रों को निश्चित भत्ता देने का भी प्रस्ताव है. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इसको नेशनल यूथ इम्पावरमेंट स्कीम (N-YES) नाम दे रही है. इसके तहत यह प्रावधान भी किया जा रहा है कि सेना, अर्द्ध-सैनिक बलों और पुलिस की भर्ती के लिए 12 महीने के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को करना अनिवार्य शर्त होगी.
प्रस्ताव के मुताबिक इस स्कीम में राष्ट्रवाद, अनुशासन, आत्म-गौरव के पाठ छात्रों को पढ़ाए जाएंगे. इसके साथ ही इसमें मिलिट्री ट्रेनिंग के साथ वोकेशनल और आईटी कौशल, आपदा प्रबंधन, भारतीय मूल्यों, योग, आयुर्वेद और प्राचीन भारतीय दर्शन से छात्रों को परिचित कराया जाएगा. भारत को विश्व गुरू बनाने के मकसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2022 तक न्यू इंडिया के विजन की पृष्ठभूमि में इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है.
रोजगार के मसले पर सवालिया निशान
साल भर लंबे इस प्रोग्राम को खासकर ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को ध्यान में रखकर लक्षित किया गया है. इस स्कीम के वित्त पोषण के लिए कहा जा रहा है कि एनसीसी और एनएसएस के मौजूदा बजट में से, कौशल विकास मंत्रालय और मनरेगा के फंड से इसका प्रबंध किया जाएगा. द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि जून के अंत में इस प्रस्तावित स्कीम के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बैठक बुलाई थी और रक्षा मंत्रालय, युवा मामलों और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था.
सूत्रों के हवाले से यह भी बताया गया कि कई अधिकारियों ने इस स्कीम पर सवालिया निशान उठाते हुए सुझाव दिया कि इसके बजाय राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) को मजबूत बनाया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि मिलिट्री ट्रेनिंग का यह प्रस्ताव ऐसे वक्त पर सामने आ रहा है जब विपक्ष रोजगार के संकट पर सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार किए हुए है.
Bureau Report
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