नईदिल्ली: महाराणा प्रताप के गढ़ चित्तौडगढ़ से कांग्रेस पार्टी राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के चुनाव प्रचार का आगाज करने जा रही है. चुनाव प्रचार के तहत कांग्रेस अपनी पहली चुनावी रैली आज चित्तौड़गढ़ के सांवलियाजी में आयोजित करने जा रही है. कांग्रेस ने सांवलियाजी में आयोजति होने वाली इस रैली को संकल्प रैली का नाम दिया है. अपनी रैली को सफल बनाने के लिए कांग्रेस के दिग्गजों ने उदयपुर संभाग से करीब एक लाख कार्यकर्ताओं को सांवलियाजी में जुटाने का लक्ष्य रखा है. इसके अलावा, प्रदेश के सभी पदाधिकारियों को रैली में शामिल होने के लिए कहा गया है. माना जा रहा है कि संकल्प रैली के जरिए कांग्रेस पार्टी राजस्थान में अपना पहला शक्ति प्रदर्शन करना जा रही है. संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस की इस संकल्प रैली में प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय, राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत, वरिष्ठ नेता सीपी जोशी, जितेंद्र सिंह, रामेशन डूडी, मोहन प्रकाश सहित प्रदेश के सभी सहप्रभारी शामिल होंगे.
इन 5 मुद्दों के जरिए बीजेपी को घेरने की तैयारी में कांग्रेस
राजस्थान प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. अर्चना शर्मा के अनुसार, बीजेपी ने अपने शासनकाल के दौरान आम जनता की लगातार अनदेखी की है. बीते पौने पांच सालों में राजस्थान में कोई भी ऐसा तबका नहीं बचा है, जो परेशान न हो. आम जनता की परेशानी को देखते हुए कांग्रेस जिन पांच मुद्दों के साथ अपना प्रचार अभियान शुरू करने जा रही है, उसमें भ्रष्टाचार, किसान, मंहगाई, बेरोगजारी और शिक्षा है. उन्होंने बताया कि बीजेपी ने अपने शासनकाल के दौरान अतिरिक्त स्कूलों को खोलने की जगह विद्यालयों का मर्जर कर दिया. जिसके चलते करीब 22 हजार से अधिक स्कूल बंद हो गए हैं. बीजेपी की खराब नीतियों के चलते राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था बर्बादी के मुहाने पर आ खड़ी हुई है.
चित्तौगढ़ से संकल्प रैली शुरू करने की यह है मूल वजह
उदयपुर संभाग हमेशा से सत्ता के निर्धारण में अहम भूमिका अदा करता आया है. दरअसल, इस संभाग के अंतर्गत 6 जिले आते हैं. जिनमें उदयपुर, चित्तौडगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और राजसमंद शामिल हैं. इन छह जिलों में कुल 28 विधानसभा सीटें हैं. सर्वाधिक 8 विधानसभा सीट उदयपुर जिले में हैं. वहीं सबसे कम 2 विधानसभा सीटें प्रतापगढ़ जिले में हैं. बाकी सभी जिलों में 4 से 5 के बीच में विधानसभा सीटें हैं. बीते कई विधानसभा चुनावों में देखा गया है कि उदयपुर संभाग से सर्वाधिक सीटें जीतने वाली पार्टी की सरकार सूबे में बनती है. लिहाजा, उदयपुर संभाग की निर्णायक 28 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस अपना वरचस्व कायम करना चाहती है.
उदयपुर संभाग के आदिवासी वोटों पर भी है कांग्रेस की नजर
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के लिए तैयार की गई रणनीति में कांग्रेस ने उदयपुर संभाग को इस बार खास तवज्जो दी है. इस तवज्जो का कारण इस संभाग में रहने वाले आदिवासी लोग भी हैं. इन इलाकों के लिए यह भी मशहूर रहा है कि यहां के मतदाता कभी किसी एक राजनैतिक पार्टी से बंधकर नहीं रहे हैं. हर चुनाव में यहां के लोग अपनी पसंद और नापसंद बदलते रहते हैं. यही, वजह है कि कांग्रेस इस बार उदयपुर संभाग के आदिवासी इलाकों को अपने पक्ष में लेना चाहती है.
हर विधानसभा चुनाव में यह संभाग बदलता है अपनी पसंद
राजस्थान चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाने वाले उदयपुर संभाग ने हर चुनाव में अपनी पसंद को बदला है. अभी तक के नतीजों का जो ट्रेंड रहा है, उसके अनुसार इस संभाग के मतदाता एक बार भाजपा तो दूसरी बार कांग्रेस पर अपने वोटों की बरसात करते हैं. 2008 के चुनावों में इस संभाग से कांग्रेस ने 20 सीटें हासिल की थी. जिसके बाद राज्य में उसकी सरकार बनी. इसी तरह, 2013 में इस संभाग ने बीजेपी के 25 प्रत्याशियों को विधायक बनाकर विधानसभा भेजा था. इसके पूर्व के वर्षों में भी इस संभाग में पार्टियों की जीत का क्रम यही रहा है. इसीलिए इस बार कांग्रेस को इस संभाग से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें नजर आ रही हैं.
चित्तौडगढ़ के बाद चूरू होगा कांग्रेस का अगला लक्ष्य
चित्तौड़गढ़ में संकल्प रैली के जरिए चुनाव प्रचार का आगाज करने वाली कांग्रेस का अगला लक्ष्य चूरू होगा. कांग्रेस 28 अगस्त को चूरू में विशाल संकल्प रैली करने जा रही है. इसके बाद, 5 सितंबर को बाड़मेर, 10 सितंबर को करौली और 12 सितंबर को नागौर में रैलियों की जाएगी.
Bureau Report
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