नईदिल्लीः 9 साल का एक भारतीय बच्चा अपनी प्रतिभा से न सिर्फ देश का नाम रौशन कर रहा है बल्कि विदेश भी उसकी इन क्षमताओं से बेहद प्रभावित है. 9 साल के इस शतरंज खिलाड़ी का नाम है श्रेयस रॉयल. श्रेयस अपने माता-पिता के साथ लंदन में रहता है और स्कूली स्तर पर शतरंज खेलता है. श्रेयस अपनी आयु के साथी खिलाड़ियों में दुनिया भर में चौथी रैंकिंग पर है. श्रेयस की प्रतिभा को देखते हुए उसे भविष्य का विश्वनाथन आनंद भी कहा जाता है. 9 साल के इस शतरंज खिलाड़ी से वैसे तो पूरी दुनिया ही काफी प्रभावित है, लेकिन ब्रिटेन श्रेयस की प्रतिभा से इतना प्रभावित हुआ कि उसने देश के लिए अपने वीजा नियम को भी लचीला बना दिया.
तीन साल की उम्र से लंदन में रह रहा है श्रेयस
बैंगलुरू में जन्मा श्रेयस तीन साल की उम्र से ही अपने माता-पिता के साथ लंदन में रह रहा है, जिसके चलते अब उसे हिंदी नहीं आती है, उसे खाने में ज्यादा मसाला भी पसंद नहीं है. वहीं बच्चे के भविष्य को देखते हुए श्रेयस के माता-पिता भी ब्रिटेन में ही बसे हुए हैं. बता दें श्रेयस के माता-पिता का वर्क वीजा सितंबर के बाद खत्म होने वाला है, जिसके चलते परिवार को ब्रिटेन छोड़ भारत वापस आना था, लेकिन श्रेयस की असाधारण प्रतिभा को देखते हुए पूरा ब्रिटेन श्रेयस के साथ खड़ा हो गया. जिसके बाद श्रेयस की प्रतिभा को देखते हुए ब्रिटेन गृह मंत्रालय ने श्रेयस के परिवार को ब्रिटेन में रहने की इजाजत दे दी.
4 साल की उम्र से चेस खेलना शुरू किया
‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी खबर के मुताबिक ब्रिटेन के गृह मंत्री ने यह निर्णय व्यक्तिगत स्तर पर लिया है. उन्होंने यह निर्णय श्रेयस की प्रतिभा को देखते हुए लिया है. ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जाविद के मुताबिक ‘श्रेयस अपनी उम्र के खिलाड़ियों में काफी प्रतिभावान है. इसलिए ब्रिटेन इस असाधारण प्रतिभा को खोना नहीं चाहेगा.’ बता दें गृह मंत्रालय के इस फैसले के बाद अब श्रेयस के पिता टियर-2 वर्क वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं. जो कि अगले चार साल के लिए मान्य होगा. गृह मंत्रालय के इस फैसले के बाद श्रेयस अगले चार सालों तक ब्रिटेन में रह सकता है.
टीसीएस में काम करते हैं श्रेयस के पिता
बता दें श्रेयस के पिता जितेंद्र सिंह भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी टीसीएस में काम करते हैं. जिसके चलते टीसीएस ही जितेंद्र सिंह का वर्क वीजा स्पांसर करेगी. श्रेयस का जन्म 2 जनवरी 2009 को बेंगलुरु में हुआ था. श्रेयस जब चार साल का था तभी से उसके माता-पिता ने उसे अन्य एक्टिविटीज के साथ ही चेस से जोड़ दिया था. चेस से जुड़ने के मात्र 6 महीने बाद ही श्रेयस ने एक ट्रॉफी अपने नाम कर ली थी. जिसके बाद उसका यह सफर आगे बढ़ता रहा और इसके साथ ही श्रेयस की ख्याती भी दुनिया भर में फैलती रही.
Bureau Report
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