नईदिल्ली: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनावों में बीजेपी की शिकस्त के बाद ऐसा लग रहा है कि सत्ताधारी एनडीए के सहयोगी दलों की ‘सौदेबाजी’ की ताकत बढ़ गई है. बिहार में जेडीयू, एलजेपी और बीजेपी के सीट-शेयरिंग फॉर्मूले के बाद इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीट शेयरिंग फॉर्मूले में सबसे ज्यादा फायदा नीतीश कुमार और रामविलास पासवान को हुआ है.
2014 के लोकसभा चुनावों में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 22 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि 30 पर इसने चुनाव लड़ा था. लेकिन क्षेत्रीय दलों के साथ हुए सीट समझौते में बीजेपी को इस बार अपनी पांच जीती हुई सीटें छोड़नी पड़ी है. बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. पिछले लोकसभा चुनाव में ये दोनों विरोधी दल थे. 2014 में जेडीयू को महज दो लोकसभा सीटें मिली थीं.
लोजपा और जदयू को फायदा
इस समझौते से लोजपा को फायदा पहुंचा है. पार्टी को कम सीटें मिलने के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन गठबंधन से उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली रालोसपा के निकलने के बाद मौके का फायदा उठाते हुये लोजपा अपने तेवर कड़े करते हुये भाजपा के साथ बेहतर सौदा करने में कामयाब रही, जिसके चलते उन्हें छह सीट मिल गयी.
नीतीश कुमार भी बीजेपी को अपनी महत्ता समझाने में कामयाब रहे, जिसका नतीजा यह हुआ कि बिहार में अब उनको भाजपा के बराबर खड़ा होने का मौका मिल गया, उनकी झोली में कुछ वे सीटें भी आ गई हैं, जिस पर 2014 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. भाजपा को अब जीती हुई अपनी 22 सीटों में से कम-से-कम पांच सीटों को जदयू के लिए छोड़ना पड़ेगा.
रविवार को जब इस सीट-शेयरिंग फॉर्मूले का ऐलान हुआ तो राम विलास पासवान ने कहा कि गठबंधन में कभी कोई समस्या नहीं थी, वे मोदी के नेतृत्व में पांच सालों से ‘‘राजग के पेड़’’ को सींच रहे हैं व उसको मजबूत बनाया है. गौरतलब है कि पासवान के बेटे चिराग ने अपने बयानों से खलबली मचा दी थी जिसे भाजपा और केंद्र सरकार के खिलाफ माना जा रहा था. उन्होंने कहा कि देश में फिर से मोदी के नेतृत्व में सरकार बनेगी.
सीट बंटवारे से खुश नजर आने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस अवसर पर कहा कि 2009 में जब परिणाम राजग के खिलाफ थे तब भी बिहार में राजग को 40 में से 32 सीटें मिली थी. उन्होंने कहा, ‘‘इस बार तो हम उससे भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे.’’
इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि गठबंधन में शामिल सभी दल जल्द ही लोकसभा क्षेत्रों के बंटवारे पर निर्णय लेंगे. यहां से पार्टियां 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों को उतारेंगी.
Bureau Report
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