मुंबई: महाराष्ट्र की हाईप्रोफाईल सीट मानी जाने वाली बारामती सीट से दो बार सांसद रहे एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले फिर मैदान में हैं. उन्हें बीजेपी की कांचन कुल चुनौती दे रही हैं. 1991 से इस सीट पर शरद पवार का ही कब्जा रहा है. इस कब्जे को बरकरार रखने की चुनौती के चलते शरद पवार अपनी बेटी के लिए खुद मैदान में प्रचार के लिए उतरे हैं. लेकिन इस सीट ने शरद पवार की नींद उड़ाई हुई है.
महाराष्ट्र की बारामती सीट लोकसभा चुनाव में काफी चर्चा में है. यह सीट देश की हाई प्रोफाइल सीट में से एक सीट है. यहां से एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले चुनाव लड़ रही हैं. 2009 से इस सीट से दो बार सांसद रहीं सुप्रिया एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं. यह सीट पवार परिवार के लिए इसलिए खास है क्योंकि 1991 से ही इस सीट पर पवार परिवार का कब्जा है. 1991 से 2009 तक एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार खुद इस सीट पर सांसद रहे चुके हैं.
बेटी को वापस जिताने के लिए शरद पवार ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. बीजेपी ने अपनी कई सभाओं में बारामती की सीट का जिक्र किया है और उस दरम्यान यह भी एनसीपी को चुनौती दी है कि इस बार बारामती की सीट एनसीपी को हराकर ही दम लेंगे. बीजेपी की चुनौती को एनसीपी गंभीरता से ले रही है. प्रतिष्ठा की इस सीट को बचाने के चक्कर में शरद पवार की नींद उड़ी है. वह खुद मैदान में उतर गए हैं. ज़ी न्यूज़ को सूत्रों से मिली खास जानकारी के मुताबिक शरद पवार सबसे ज्यादा समय बारामती लोकसभा सीट को दे रहे हैं. शरद पवार खुद बारामती संसदीय क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों से मिल रहे हैं. खुद से उन्हें फोन भी कर रहे हैं
क्षेत्र में जो लोग अपना प्रभाव रखते हैं, पवार खुद समय निकालकर उनके घर जाते हैं उनके घर जाकर उस एरिया के महत्वपूर्ण 10 से 12 लोगों से वहां मीटिंग कर रहे हैं. जो लोग किसी कारणवश नाराज है उनकी नाराजगी वह पर्सनली ध्यान देकर दूर कर रहे हैं. रूठे हुए लोगों से उनके गिले शिकवे मिटाकर अपनी बेटी सुप्रिया सुले के पक्ष में काम करने की अपील कर रहे हैं. जिन कार्यकर्ताओं को आज तक शरद पवार का फोन नहीं आया था,उन्हें भी शरद पवार का फोन आ रहा है.
सरकारी और प्राइवेट मिलाकर 10 से 12 सरकारी सुगर फैक्ट्री बारामती संसदीय क्षेत्र में है. यहां शक्कर का उत्पादन ज्यादा होता है. बारामती संसदीय क्षेत्र का बड़ा हिस्सा पुणे शहर में भी आता है, बारामती संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत शहरी भाग का विकास ग्रामीण की अपेक्षा ज्यादा हुआ है. शहरी भागो, शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर लगभग हर सुविधा मौजूद है.
लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट है :
1. राष्ट्रवादी समाज पक्ष दौंड से राहुल कुल विधायक हैं.
2. बारामती से एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार विधायक हैं.
3. इंदापुर से एनसीपी से दत्तात्रय भरने विधायक हैं.
4. भोर से कांग्रेस से संग्राम थोपटे विधायक.
5. पुरंदर से शिवसेना से विजय शिवतारे विधायक है.
6. खड़कवासला से बीजेपी से भीमराव तापकिर विधायक है,
बारामती संसदीय क्षेत्र की मुख्य समस्या:
1. पुरंदर और इंदापुर, दौंड, भोर में बारामती सिटी की तरह विकास नहीं हुआ है.
2. इंदापुर, दौंड और पुरंदर तालुका में सिंचाई के लिए पानी की किल्लत है.
3. बारामती के ज्यादातर गांव में पीने के पानी की समस्या है. टैंकर से पानी पीने में लोग मजबूर हैं.
4. किसानों की उनके गन्ने की खेती का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.
वोटों का गणित:
कुल वोटर्स की संख्या- 21,12,408
पुरुष मतदाता- 11,10,168
महिला मतदाता- 10,02,207
बारामती लोकसभा मतदान क्षेत्र
1. 2014 में सुप्रिया सुले को 5,21,562 वोट मिले थे.
2. राष्ट्रीय समाज पक्षाच्या के प्रत्याशी महादेव जानकर को 4,51,843, मत मिले थे.
3. 2014 में 69,719 वोट से सुप्रिया चुनाव जीती थीं.
4. बीजेपी के निशाने पर यह सीट है. बीजेपी एनसीपी का अभेद किला ढहाना चाहती है.
5. इस संसदीय क्षेत्र में प्रधानमंत्री की रैली होने की भी उम्मीद जताई जा रही है. इससे यहां बड़ा प्रभाव पड़ेगा.
संसद में सुप्रिया की उपस्थिति 96 फीसदी रही
संसद में सुप्रिया की उपस्थिति 96 फीसदी रही. वहीं, इन्होंने 142 बहस में भाग लिया. संसद में इन्होंने 1156 प्रश्न पूछे,. कुपोषण ,बेटर इंफ्रास्ट्रक्चर, आंगनवाड़ी सेंटर में शिक्षा सुविधा दी जाए और उसमें सरकारी स्कीम को इम्पलीमेंट की जाए इस पर जोर दिया है सुप्रिया जोर-शोर के साथ अपने चुनाव प्रचार में लगी है. सुप्रिया के मुताबिक बारामती की बेटी होने की वजह से उन्हें लोगों का भरपूर प्यार मिल रहा है. वरुण के पिता मैं बारामती के लिए काफी काम किया है पिछले 5 साल में जो उन्होंने क्षेत्र के लिए काफी काम किया है उस के बल पर वह जनता के बीच जा रही है, उन्हें गर्व है कि देश की परफॉर्मिंग लोकसभा सीट में से उनका भी लोकसभा क्षेत्र है. अपनी हर सभा और प्रचार में सरकार के जुमलेबाज कह रही है.
वहीं बीजेपी की उम्मीदवार कांचन कुल का कहना है बारामती के शहरी क्षेत्रों में भले विकास हुआ है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों का विकास नहीं हुआ है. पानी की समस्या को वह एक बड़ी समस्या मानती है. सुप्रिया भले ही लोगों से मिलती हो लेकिन जिस गति से को मिलती है उस गति से काम नहीं होता ,उनके सामने सुप्रिया सुले जैसी बड़ी उम्मीदवार भले ही खड़ी हो लेकिन इस बार सुप्रिया को हार का सामना करना पड़ेगा.
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