नईदिल्ली: विवादों से घिरे रीयल एस्टेट समूह आम्रपाली ग्रुप ने मकान खरीदने वालों के 3,500 करोड़ रुपये दूसरी परियोजनाओं में लगा दिये. फारेंसिक ऑडिटरों ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग और आर्थिक अपराध शाखा (EoW) को फॉरेंसिक ऑडिटर की यह नई रिपोर्ट उपलब्ध कराने की अनुमति दे दी. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यूयू ललित की पीठ को दोनों फारेंसिक ऑडिटर पवन अग्रवाल और रवि भाटिया ने बताया कि आयकर विभाग और आर्थिक अपराध शाखा ने उनको नोटिस भेजकर यह ऑडिट रिपोर्ट तलब की है और साथ ही उसकी व्याख्या करने के लिए उन्हें खुद हाजिर होने के लिए कहा है.
अदालत ने रिपोर्ट को स्वीकार किया
शीर्ष अदालत ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. उसने इन फॉरेंसिक ऑडिटर को रिपोर्ट की प्रति जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराने की अनुमति दी है. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हमारे संज्ञान में यह लाया गया है कि पुलिस आयुक्त (आर्थिक अपराध शाखा) ने फारेंसिंक ऑडिटर की रिपोर्ट मंगायी है. हम फारेंसिक ऑडिटरों को उसे देने की अनुमति देते हैं लेकिन उन्हें (ऑडिटरों को) जांच कार्य में किसी भी काम से नहीं बुलाया जा सकता है.’
एक या दो दिन में दाखिल करें जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को उसके लक्ष्य तक पहुंचाना है. साथ ही शीर्ष अदालत ने आम्रपाली ग्रुप को निर्देश दिया कि वह फारेंसिक ऑडिटरों की रिपोर्ट पर अपना जवाब एक या दो दिन के अंदर दाखिल करें. फारेंसिक ऑडिटरों ने अपनी ताजा अनुपूरक रिपोर्ट में कहा है कि अब तक की जांच में उन्होंने पाया कि आम्रपाली ग्रुप ने मकान खरीदारों के 3,500 करोड़ रुपये अलग-अलग कंपनियों के जरिये दूसरी परियोजनाओं में लगाये हैं.
400 करोड़ को तीन कंपनी के जरिये इधर-उधर किया
उन्होंने कहा कि आम्रपाली ग्रुप के प्रवर्तकों ने रीयल एस्टेट कंपनी में एक पैसा भी नहीं लगाया है और ऊंची इमारतों के निर्माण में केवल घर खरीदारों का पैसा ही लगाया गया है. पवन अग्रवाल ने कहा कि 400 करोड़ रुपये की राशि तीन कंपनियों बिहारजी हाईराइज प्रा. लि. जोतिंद्रा स्टील एंड ट्यूब्स लि. और माउरिया उद्योग लिमिटेड के जरिये इधर-उधर किया गया. उन्होंने कहा कि सुरेखा फैमिली ही 2015 के बाद आम्रपाली ग्रुप को चला रही थी. यह परिवार जोतिंद्रा स्टील और माउरिया उद्योग का मालिक है. यह परिवार भी घर खरीदारों के धन की हेराफेरी में शामिल थे. सुरेखा परिवार के सदस्य आम्रपाली के लिए प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थे और समूह की प्रत्येक कंपनी में निदेशक भी थे.
Bureau Report
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