नईदिल्लीः जनसंख्या नियंत्रण (टू चाइल्ड पॉलिसी) के लिए कदम उठाने का निर्देश दिए जाने की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है. हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि राष्ट्रीय संविधान समीक्षा आयोग की रिपोर्ट के बाद क्या कदम उठाए गए है.मामले की सुनवाई 3 सितंबर को होगी.दरअसल, बीजेपी प्रवक्ता और पेशे से वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने इस आधार पर याचिका दायर की है कि देश में अपराध, प्रदूषण बढ़ने और संसाधनों एवं नौकरियों की कमी का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है.
याचिका में जनसंख्या नियंत्रण के लिए जस्टिस वेंकटचलैया की अगुवाई में राष्ट्रीय संविधान समीक्षा आयोग (एनसीआरडब्ल्यूसी) की सिफारिशें लागू करने का भी अनुरोध किया गया है.याचिका में कहा गया कि एनसीआरडब्ल्यूसी ने दो साल तक काफी प्रयास और व्यापक चर्चा के बाद संविधान में अनुच्छेद 47ए शामिल करने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था.
याचिका में कहा गया है कि अब तक संविधान में 125 बार संशोधन हो चुका है। सैकड़ों नए कानून लागू किए गए, लेकिन जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया, जिसकी देश को अत्यंत आवश्यकता है और जिससे भारत की 50 प्रतिशत से अधिक समस्याएं दूर हो सकती हैं.
इसमें अदालत से यह आदेश देने की भी मांग की गई कि केंद्र, सरकारी नौकरियों, सहायता एवं सब्सिडी के लिए दो बच्चों का नियम बना सकता है और इसका पालन नहीं करने पर मतदान का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार, सम्पत्ति का अधिकार, नि:शुल्क आश्रय का अधिकार, नि:शुल्क कानूनी सहायता का अधिकार जैसे कानूनी अधिकार वापस लिए जा सकते हैं.
याचिका में दावा किया गया है कि भारत की जनसंख्या चीन से भी अधिक हो गई है क्योंकि हमारी जनसंख्या के करीब 20 प्रतिशत के पास आधार कार्ड नहीं है और इसलिए सरकारी आंकड़ों में वे शामिल नहीं हैं और देश में करोड़ों रोहिंग्या एवं बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं.याचिका में यह भी दावा किया गया है कि बलात्कार, घरेलू हिंसा जैसे जघन्य अपराधों के पीछे का एक मुख्य कारण होने के अलावा जनसंख्या विस्फोट भ्रष्टाचार का भी मूल कारण है.
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