नईदिल्ली: भारत ने जी20 (G20) के सदस्य देशों से अपील की कि डिजिटल दुनिया की कंपनियों के लाभ पर कर लगाने की चुनौतियों का समाधान ढूंढने में इस सिद्धांत का इस्तेमाल होना चाहिए कि यदि ऐसी कंपनी किसी देश में ‘महत्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति’ रखती है तो उसे वहां कमाए गए लाभ पर वहीं कर चुकाना चाहिए. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जापान के फुकुओका में जी20 के सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों तथा केंद्रीय बैंकों के गर्वनरों की चल रही दो दिवसीय बैठक को संबोधित करते हुए डिजिटल कंपनियों के मुनाफे पर कर लगाने के मुद्दे पर कारोबार की कड़ियों और लाभ के आवंटन का समुचित सिद्धांत तय किए जाने पर बल दिया.
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से उभर रही कर चुनौतियों पर काम के गंभीर चरण में पहुंच जाने का जिक्र किया. इस बारे में उन्होंने महत्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति के सिद्धांत पर आधारित कोई समाधान निकालने का समर्थन किया.’ भारत को उम्मीद है कि इस विषय में आम सहमति पर आधारित वैश्विक समाधान, समानता पर आधारित और सरल होगा तथा 2020 तक हासिल कर लिया जाएगा.
सीतारमण ने कहा कि करीब 90 न्यायाधिकार क्षेत्र अब वित्तीय सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान को अपना रहे हैं. इससे यह सुनिश्चित होगा कि कर चोरी करने वाले निकाय किसी दूसरे देश में स्थित वित्तीय खाते को छिपा नहीं सकते हैं. वित्त मंत्री ने जी20 से अनुरोध किया कि स्वत: आदान-प्रदान के नेटवर्क के लिये विकासशील देशों और वित्तीय केंद्रों समेत ऐसे न्यायाधिकार क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिये जो प्रासंगिक हैं लेकिन अभी तक किसी समयसीमा के लिये प्रतिबद्ध नहीं हैं.’
सीतारमण ने वैश्विक चालू खाता के असंतुलन पर कड़ी नजर रखने की जरूरत को भी रेखांकित किया. उन्होंने जी20 से अंतरराष्ट्रीय कच्चा तेल बाजार के उथल-पुथल के प्रति भी सजग रहने की अपील की.
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