नईदिल्ली: आम्रपाली केस में खरीदारों के हित में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कई सख्त आदेश दिए. इस दौरान शीर्ष अदालत ने यूपी और केंद्र सरकार को आदेश दिया कि देश भर में जिन बिल्डर्स ने खरीदारों को फ्लैट नहीं दिए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करें और खरीदारों के हित सुरक्षित करें. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि आम्रपाली के हाउसिंग प्रोजेक्ट पर सिर्फ फ्लैट खरीदारों का ही हक है, किसी और का नहीं.
आम्रपाली के 45000 खरीदारों को राहत
अदालत ने कहा नोएडा-ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और बैंक अपने बकाए की वसूली आम्रपाली ग्रुप की बाकी संपत्तियों को नीलामी करके करें. कोर्ट ने इस दौरान प्राधिकरण और बैंकों की भूमिका पर भी सवाल उठाए. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार सुबह आम्रपाली ग्रुप के करीब 45000 खरीदारों को राहत देते हुए एनबीसीसी से अधूरे प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए कहा. इस दौरान कोर्ट ने आम्रपाली का रेरा (RERA) के तहत किया गया रजिस्ट्रेशन भी रद्द करने के लिए कहा.
आम्रपाली ग्रुप ने मनी लॉन्ड्रिंग की
शीर्ष अदालत ने पूरे मामले में सख्त टिप्प्णी करते हुए कहा कि आम्रपाली ग्रुप ने मनी लॉन्ड्रिंग की है. इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय को जांच करने के आदेश दिए. अदालत ने फ्लैट खरीदारों को आदेश दिया कि बचे हुए पैसे को तीन महीने में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करा दे. आम्रपाली के डायरेक्टर्स ने खरीदारों के पैसे को कहीं और डायवर्ट किया. फ्लैट की बोगस अलॉटमेंट की गई और बड़ी धोखाधड़ी हुई है. प्राधिकरण आम्रपाली के बायर्स पर कार्रवाई न करे.
आम्रपाली ग्रुप की लीज रद्द की जाए
उच्चतम न्यायालय ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को आदेश दिया कि आम्रपाली की लीज रद्द की जाए. कोर्ट ने आर वेंकट रमानी को रिसीवर नियुक्त किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल 2015 से 2018 के बीच आम्रपाली का अकाउंट मैंटेन नहीं था, इसी दौरान पैसा इधर से उधर हुआ है. अब मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी. आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के मामले में 10 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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