नईदिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति तीसरी दोमाही बैठक 5 अगस्त से मुंबई में शुरू हो रही है. तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक का समापन 7 अगस्त को किया जाएगा. इस दिन ही बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी. इस बार की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में लगातार चौथी बार रेपो रेट कम करने की उम्मीद जताई जा रही है. इससे पहले आरबीआई नीतिगत दरों में फरवरी से लगातार तीन बार 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है.
लगातार चौथी बार कम हो सकता है रेपो रेट
मांग में कमी आने की वजह से कंपनियों की बिक्री घट गई है. ऐसे में अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए आरबीआई की तरफ से फिर से रेपो रेट घटाने का निर्णय लिया जा सकता है. यदि ऐसा हुआ तो लगातार चौथा मौका होगा जब केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कटौती करेगा. इससे पहले 6 जून को जारी क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की घोषणा की थी और यह घटकर 5.75 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया था.
अर्थशास्त्रियों ने कहा था यह
इस बार आरबीआई की तरफ से यदि रेपो रेट को घटाया जाता है तो यह 5.50 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जाएगा. दरअसल 17 से 24 जुलाई के बीच एक पोल आयोजित किया गया था. इसमें 66 इकोनॉमिस्ट शामिल हुए थे. इनमें से करीब 50 अर्थशास्त्रियों का मानना था कि रिजर्व बैंक फिर से रेपो रेट में कटौती करेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक रफ्तार में तेजी आने में थोड़ा समय लगेगा.
क्या है रेपो रेट और रिवर्स रेपो
जून में हुई 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद रेपो रेट 5.75 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है. जबकि रिवर्स रेपो रेट 5.50 प्रतिशत है. आपको बता दें कि आरबीआई बैंकों को जिस दर पर कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. वहीं रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को उनकी जमा पर ब्याज देता है.
Bureau Report
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