नईदिल्लीः अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 17वें दिन की सुनवाई शुरू हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में हुई सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षों की ओर से बहस शुरू हुई. कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई की मांग की. जिसपर कल मंगलवार को सुनवाई होगी. धवन 88 साल के प्रोफेसर के ऊपर अवमानना की कार्रवाई चाहते हैं.
प्रोफेसर ने उन्हें चिट्ठी भेज कर श्राप दिया था. धवन इसे न्यायिक काम में बाधा की कोशिश बता रहे हैं. कपिल सिब्बल ने राजीव धवन की तरफ से दायर अवमानना याचिका का ज्रिक किया. सिब्बल ने कहा कि धवन को कई बार धमकी मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का भरोसा दिया.
राजीव धवन ने कोर्ट से सप्ताह के बीच मे बुधवार को खुद के लिए ब्रेक की मांग की. धवन ने कहा कि उनके लिए लगातार दलीलें देना मुश्किल होगा. CJI ने कहा- इससे कोर्ट को परेशानी होगी. आप चाहे तो शुक्रवार को ब्रेक ले सकते हैं. धवन- ठीक है, मैं सहमत हूं.
राजीव धवन ने कहा कि आप कौन का कानून यह पर लागू करेंगे, क्या हमे वेदों और स्कंद पुराण को लागू करना चाहिए. राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट को धर्म ने न्याय, साम्यता और शुद्ध विवेक-व्यवस्था और कुछ यात्रियों का संक्षिप्त कॉम्पलीकेशन दिया. मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा कि प्रायिकता का पूर्व विस्तार दर्शाता है कि विवाद में भवन औरंगजेब के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था, क्यों कि अकबर, शाहजहां या हुमायूं के शासनकाल में इसकी रचना नहीं हो सकती थी.
राजीव धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की तरफ से भारत आने वाले यात्रियों की हवाला दे कर कहा कि उन यात्रियों ने मस्जिद के बारे में नही लिखा है, क्या इस आधार पर यह मान लिया जाए कि वह मस्जिद नही था, मारको पोलो ने अपनी किताब में चीन की दीवार के बारे में लिखा था.धवन ने कहा कि हम इस मामले में किसी अनुभवहीन इतिहासकार की बात को नही मान सकते है, हम सभी अनुभवहीन ही है.डी वाई चंद्रचूर्ण ने कहा कि आप ने भी कुछ ऐतिहासिक साक्ष्य दिए है कोई ऐसा साक्ष्य है जिसपर दोनों ने भरोसा जताया हो.
राजीव धवन ने कहा कि मोर, कमल जैसे चिन्ह का मिलना ये साबित नहीं करता कि वहां मंदिर था और कहा जा रहा है कि विदेशी यात्रियों ने मस्ज़िद का ज़िक्र नहीं किया. लेकिन मार्को पोलो ने भी तो चीन की महान दीवार के बारे में नहीं लिखा था, मामला कानून का है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आपने भी हाईकोर्ट में ऐतिहासिक तथ्य रखे थे.
धवन ने कहा- केस कानून से चलेगा और वेद और स्कंद पुराण के आधार पर नहीं है.लोगों का उस स्थान की परिक्रमा करना धार्मिक विश्वास को दिखाता है. ये कोई सबूत नहीं.1858 से पहले के गजेटियर का हवाला गलत. अंग्रेजों ने लोगों से जो सुना, लिख लिया. मकसद ब्रिटिश लोगों को जानकारी देना भर था.
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा- रामलला के वकील वैद्यनाथन ने अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने संबंधी एक दलील दी. लेकिन कोर्ट को मैं बताना चाहता हूं कि पूजा के लिए की जाने वाली भगवान की परिक्रमा सबूत नहीं हो सकती. बाबर के विदेशी हमलावर होने पर वो कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि फिर तो आर्यो को लेकर भी जिरह करनी होगी. मैं 1528 से जिरह करने को तैयार हूँ ये साबित करने के लिए कि वहां मस्ज़िद थी.
Bureau Report
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