नईदिल्ली: अयोध्या केस के 17वें दिन मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन ने दलीलें रखीं. बहस की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि मैं अपनी दलीलें शुरू करने से पहले माफी मांगना चाहता हूं. मैं मीडिया में अपनी टिप्पणियों और वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा पर की गई टिप्पणियों के लिए भी माफी मांगता हूं. सभी जगह यह महसूस किया जा रहा है कि मैं चिड़चिड़ा होता जा रहा हूं.
हिंदू पक्षकारों की दलीलों पर राजीव धवन ने कहा कि वह कौन सा कानून है जिनका जिक्र आपने यहां किया है? हम जिस कानून का अनुसरण करते हैं वो वैदिक कानून नहीं है. लीगल सिस्टम 1858 में शुरू हुआ था.
राजीव धवन ने कहा कि मेरे मित्र वैद्यनाथन ने अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने संबंधी एक दलील दी है. लेकिन कोर्ट को मैं बताना चाहता हूं कि पूजा के लिए की जाने वाली भगवान की परिक्रमा सबूत नहीं हो सकती. यहां इसे लेकर इतनी दलीलें दी गई लेकिन इन्हें सुनने के बाद भी मैं ये नहीं दिखा सकता कि परिक्रमा कहां है. इसलिए यह सबूत नहीं है.
राजीव धवन ने कहा कि बाबर के विदेशी हमलावर होने पर वो कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन धवन ने कहा कि साबित करने के लिए जिरह करूंगा कि वहां मस्जिद थी.
राजीव धवन ने कहा कि आप कौन सा कानून यहां पर लागू करेंगे, क्या हमें वेदों और स्कंद पुराण को लागू करना चाहिए. राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट को धर्म के न्याय, साम्यता और शुद्ध विवेक-व्यवस्था और कुछ यात्रियों का संक्षिप्त विवरण दिया.
इसके साथ ही राजीव धवन ने कोर्ट से सप्ताह के बीच में बुधवार को खुद के लिए ब्रेक की मांग की. धवन ने कहा कि उनके लिए लगातार दलीलें देना मुश्किल होगा. इस पर चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि इससे कोर्ट को परेशानी होगी. आप चाहें तो शुक्रवार को ब्रेक ले सकते हैं. राजीव धवन ने कहा कि ठीक है, मैं सहमत हूं.
Bureau Report
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