अयोध्‍या केस- ‘1934 से हमें वहां नमाज के लिए जाने नहीं दिया गया…हिंदू पूजा करते रहे’

अयोध्‍या केस- '1934 से हमें वहां नमाज के लिए जाने नहीं दिया गया...हिंदू पूजा करते रहे'नईदिल्‍ली: अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में 18वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने अपनी दलीलों को जारी रखते हुए कहा कि कि ये कहा जा रहा है कि मुसलमान वहां नमाज नहीं पढ़ते. सच ये है कि 1934 से हमें वहां जाने ही नहीं दिया गया. हिंदू पूजा करते रहे. पूरे कब्ज़े के लिए रथयात्रा निकालते रहे. ये बंद होना चाहिए. 1947 में दिल्ली में तोड़ी गई 30 मस्जिदों को PM नेहरू ने बनाने का आदेश दिया. उधर एक फैज़ाबाद के DM केके नायर थे, जो कह रहे थे कि फैज़ाबाद में मंदिर था, जिसे तोड़ा गया. बाद में नायर की फोटो इमारत में लगाई गई. साफ है कि वो हिंदुओं के पक्ष में भेदभाव कर रहे थे.

राजीव धवन ने दलील दी कि विवादित जमीन के ढांचे के मेहराब के अंदर के शिलालेख पर ‘अल्लाह’ शब्द मिला है. दरअसल धवन साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि विवादित जगह पर मंदिर नहीं बल्कि मस्जिद था. उन्‍होंने कहा कि मस्जिद के भीतर 1949 में मूर्तियों का प्रकट होना कोई दैवीय चमत्कार नहीं बल्कि वह एक ‘प्लांड अटैक’ था.

धवन ने कहा कि मस्जिद का द्वार बंद रहता था और चाबी मुसलमानों के पास रहती थी. शुक्रवार को 2-3 घंटे के लिए खोला जाता था और साफ-सफाई के बाद जुमे की नमाज पढ़ी जाती थी. सभी दस्तावेज और गवाहों के बयान से साबित है कि मुस्लिम, मस्जिद के अंदर के हिस्से में नमाज पढ़ते थे.

राजीव धवन ने कहा कि हमसे कहा जाता रहा कि आपको वैकल्पिक जगह दी जाएगी. प्रस्ताव देने वाले जानते थे कि हमारा दावा मजबूत है. स्ट्रक्चर के पास पक्का पथ परिक्रमा के नाम से जाना जाता है. परिक्रमा पूजा का एक तरीका है लेकिन क्या परिक्रमा से ज़मीन पर उनका अधिकार हो जाएगा?

राजीव धवन ने कहा कि दावा किया जा रहा है कि वहीं पर भगवान राम के जन्मस्थान की जगह है, उसके बाद कहते हैं कि वहां पर भव्य मंदिर था और उनको पूरा स्थान चाहिए. अगर आप उनके स्‍वयंभू की दलील को मानते हैं तो उनकी पूरी ज़मीन मिल जाएगी, मुस्लिम को कुछ भी नही मिलेगा. मुस्लिम भी उस जमीन पर अपना दावा कर रहे है.

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि देवता को एक न्यायिक व्यक्ति स्वीकार किया जाता है, तो पूजा का स्थान सटीक स्थान नहीं है जहां वह पैदा हुआ है. बल्कि इसके लिए सभी उपयुक्त स्थान माना जाता है, जिसे लोग समान रूप से महत्वपूर्ण मानते है. राजीव धवन ने कहा कि जन्मस्थान और जन्मभूमि की बात की जाती है जिसमें बड़ा अंतर है.

Bureau Report

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