नईदिल्ली: चार नए जजों के शपथ के चलते अयोध्या केस की सुनवाई के 29वें दिन संविधान पीठ थोड़ा विलंब से बैठी. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन दलील जारी रखते हुए कहा कि हम राम का सम्मान करते हैं, जन्मस्थान का भी सम्मान करते हैं. इस देश में अगर राम और अल्लाह का सम्मान नहीं होगा, देश खत्म हो जाएगा. धवन ने कहा कि विवाद तो राम के जन्मस्थान को लेकर है कि वह कहां है!
जस्टिस भूषण – कहते हैं कि जन्मस्थान महाकाव्यों और कई चीजों पर आधारित है. लेकिन मूर्ति की अवधारणा अलग है. स्वयंभू की अवधारणा जन्मस्थान से अलग है.
राजीव धवन- वादी 5 का इरादा शेबेट को नष्ट करके एक नया मंदिर बनाना और उस पर कब्जा करना था…धर्मशास्त्र को लेकर कल्पना करना गलत होगा.
जस्टिस बोबडे – क्या हमें न्यायिक इकाई के साथ देवत्व के पहलू को देखने की जरूरत है
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ – इसे एक न्यायिक इकाई बनाने का उद्देश्य क्या है?
राजीव धवन ने के परासरन तर्क का संदर्भ देते हुए कहा कि के परासरन ने अपनी दलीलों में आध्यात्मिकता और दिव्यता के बारे में उल्लेख किया है. इसलिए देवत्व की एक अहम भूमिका है. TN सरस्वती के बारे में उल्लेख किया गया था जो एक न्यायिक व्यक्ति से संबंधित है.
राजीव ध्यान की दलील – पूरी विवादित जमीन जन्मस्थान नहीं हो सकती! जैसा कि हिंदू पक्ष दावा करते हैं. कुछ तो निश्चित स्थान होगा ! पूरा क्षेत्र जन्मस्थान नहीं हो सकता.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से कहा कि अयोध्या के संबंध में हिंदुओं की आस्था पर सवाल उठाना उनके लिए मुश्किल होगा. यहां तक कि एक मुस्लिम गवाह ने कहा था कि अयोध्या हिंदुओं के लिए है जो मक्का मुसलमानों के लिए है.
राजीव धवन- अब परिक्रमा के संबंध में गवाहों द्वारा दी गई जानकारी कोर्ट के समक्ष रख रहे हैं. हिन्दू पक्ष के गवाही को पढ़ते हुए बताया कि दो तरह की परिक्रमा होती है-पंच कोसी, चौदह कोसी परिक्रमा, पूरे अयोध्या की परिक्रमा होती थी और राम चबूतरा की भी परिक्रमा होती थी. परिक्रमा के बारे में सभी गवाहों ने अलग-अलग बात कही है. कुछ ने कहा कि राम चबूतरे की परिक्रमा होती थी, कुछ ने कहा कि दक्षिण में परिक्रमा होती थी.
Bureau Report
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