नईदिल्ली: अयोध्या मामले (Ayodhya Case) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 30वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि मैं मानता हूं कि भारत में पूजा की कई मान्यताएं हैं. कामाख्या समेत देवी सती के अंग जहां गिरे, वहां मंदिर हैं. इस पर जस्टिस बोबडे ने कहा कि ऐसा मंदिर पाकिस्तान में भी है. धवन ने कहा लेकिन अयोध्या में रेलिंग के पास जाकर पूजा किए जाने से उसे मंदिर नहीं मानना चाहिए.
राजीव धवन अब गोपाल सिंह विशारद की याचिका पर बहस कर रहे हैं. धवन ने कहा कि गोपाल सिंह विशारद ने कहा है कि हम 1950 से पहले से पूजा कर रहे थे लेकिन मुस्लिम पक्ष की शिकायत पर तत्कालीन डीएम के के नायर ने पूजा को रुकवा दिया था. मुस्लिम वहां पर नमाज़ पढ़ते थे. इस पर सवाल उठाया जा रहा है. 22-23 दिसंबर की रात को जिस तरह से मूर्ति को रखा गया वह हिन्दू नियम के अनुसार सही नहीं है. धवन ने कहा कि 40 गवाहों की गवाही को क्रॉस एक्जामिनेशन नहीं किया गया.
उन्होंने कहा कि गोपाल सिंह विशारद की याचिका में भी भगवान राम जन्मस्थान के बारे में नहीं बताया गया. मस्जिद के बीच के गुंबद के नीचे जन्मस्थान होने का दावा किया गया और पूजा के अधिकार की मांग की गई.
29वें दिन की सुनवाई
सोमवार को राजीव धवन ने कहा था कि हम मान लेते हैं कि राम का जन्म वहां हुआ. लेकिन हिंदू पक्ष चाहता है कि वहां सिर्फ मंदिर रहे. शक नहीं कि भगवान राम का सम्मान होना चाहिए पर भारत जैसे महान देश में अल्लाह का भी सम्मान है और इसी बुनियाद पर देश बना है. हम राम का सम्मान करते हैं, जन्मस्थान का भी सम्मान करते हैं. इस देश में अगर राम और अल्लाह का सम्मान नहीं होगा, देश खत्म हो जाएगा.
Bureau Report
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