मुंबई: वैसे से मुंबई की पहचान वड़ा-पाव से ज्यादा जानी जाती है लेकिन एक करोड़ से ज्यादा आबाद वाला यह शहर रोजाना लाखों की संख्या में सैंडविच के स्लाइस निगल जाता है. सैंडविच की ज्यादातर मांग उन लोगों की तरफ से की जाती है जो ऑफिसों में काम करते हैं या वो लोग जो हेल्थ कान्शस होते हैं और जिन्हें तली हुई चीजों से परहेज करते हैं. आमतौर पर एक नार्मल सैंडविच से लेकर टोस्ट सैंडविच में प्याज के 4-5 टुकड़े डाले जाते हैं लेकिन प्य़ाज की आसमान छूती कीमतों ने उसे दो टुकड़ों पर लाकर रख दिया और वो भी एकदम बारीक.
मुंबई में ऐसे लोगों की एक बड़ी संख्या है जो बड़ा पाव के स्थान पर भजिया पाव को तरजीह देते हैं. भजिए में भी कांदा (प्याज) भजिय़ा ज्यादातर लोगों का पसंदीदा होता है. लेकिन कांदे (प्याज) के भाव ने भजिया पाव वालों का भी डब्बा गोल कर रखा है. ज्यादातर लोग या तो कांदा भजिया बना ही नहीं रहे है या बहुत कम मात्रा में बना रहे हैं जिससे पाव में दूसरे भजियों के साथ कांदा भजिए को मिलाकर काम चलाया जा सके. लोगों का कहना है कि कांदा (प्याज) के दाम इतने ज्यादा हो गए हैं कि फायदा होना तो दूर की बात है, किसी तरह से लागत निकल आए यही मुश्किल हो रहा है.
मुंबई के कुछ इलाकों में वड़ा पाव के साथ तोड़ा सा कांदा(प्याज) भी पाव के बीच में लगा कर दिया जाता था जिसे बड़ा पाव में तोड़ा और स्वाद घुल जाता लेकिन अब ये सब कुछ बंद हो चुका है. मुंबई में ज्यादातर सड़कों पर सैंडविच, भजिया पाव, वड़ा पाव मिल जाएगा लेकिन जो नहीं मिलेगा वो होगा प्याज, जो इन सब के स्वाद को चार-चांद लगाता था.
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