नईदिल्ली: ‘डायल-112’ (Dial 112) की सफल लॉन्चिंग से ओत-प्रोत दिल्ली पुलिस अब एक और सुनहरा पन्ना खुद के इतिहास में जोड़ने वाली है. दिल्ली पुलिस में हाल ही में भर्ती हुए पांच अदभुत ‘बेजुबानों’ के बलबूते. आने वाले चंद दिनों में ही दिल्ली पुलिस इस नए पन्ने पर इन्हीं पांच ‘गोल्डन-र्रिटीवर’ (Golden Retriever) की खुबूसरत और यादगार कहानी लिखने की तैयारियों को फिलहाल मूर्त रूप देने में जुटी है. बुद्धि से चतुर और देखने में यह ‘बेजुबान’ वाकई भोले हैं, मगर इनके ‘शिकार’ करने के फुर्तीले स्टाइल की चील भी कायल है.
इन्हें अपनी सुंदरता का भी घमंड नहीं होता. यह सिर्फ काम और ईमानदारी में विश्वास रखते हैं. बहादुरी इनकी रग-रग में भरी है. जरूरत है तो इन्हें सिर्फ अपने मालिक के एक इशारे भर की. मालिक के इशारों पर नाचने-चलने में यह खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं न कि खुद की हिकारत समझते हैं.
अनुशासन में रहना इनका जन्मजात गुण है. इनकी उत्पत्ति का मूल स्थान 1900 शताब्दी के मध्य में स्कॉटलैंड में जाना जाता है. व्यवहार निभाने में यह बेहद कुशल हैं. अगर इनके कुल-खानदान-वंश की खूबियां तलाशने चलिये तो उनकी भरमार है.
जमाने की भागमभाग वाली जिदंगी में नेत्रहीन इंसान को रास्ता पार कराने की फुर्सत हमें-आपको भले न हो. ‘गोल्डन-र्रिटीवर’ में मगर यह भी गजब की क्वालिटी है कि वो सड़क पार कराने से लेकर नेत्रहीन व्यक्ति के साथ-साथ चलकर, उसको उसकी मंजिल पर सुरक्षित पहुंचा सकते हैं.
छानबीन करने और सूंघने की भी इनमें गजब की क्षमता होती है. जमीन के अंदर काफी गहराई तक सूंघने की इनकी क्षमता का कायल इंसान भी है. इनके वंश-कौम के बाकी संगी-साथी बेहद खतरनाक और गुस्सैल तथा कुछ तो बेहद आलसी प्रकृति के भी होते हैं. आलस और आक्रामकता से मगर इनका कोई वास्ता नहीं है. हां, अगर इन्हें वक्त पर भरपेट भोजन नहीं नसीब हुआ, तो इन्हें बेहद गुस्सा आता है. गुस्से में इन्हें दिखाई नहीं देता है कि इनके सामने इनका मालिक, प्रशिक्षक मौजूद है या फिर दुश्मन.
यह शांत दिमाग यानी ठंडे मन के मालिक होते हैं. इसके बाद भी इनकी चुस्ती-फुर्ती का आलम यह होता है कि सामने उड़ती चिड़िया को भी अगर यह मुंह में दबोचने की सोच लें, तो फिर वो बच नहीं सकती है. शिकार करने के इनके इसी गुण की कायल फुर्तीली चील भी कही जाती है.
इंसान की सोचने-सूंघने की क्षमता कम हो सकती है. इन्होंने एक बार अगर किसी सुगंध को भांप लिया, तो फिर नहीं भूलते. यही वजह है जो इन्हें ‘इंसानी दुनिया के जासूसों से भी बेहतर जासूस साबित करती है.’ शायद यही वजह है कि दिल्ली पुलिस ने इनके रहने के लिए भी वातानुकूलित घरों (कैनाल) का इंतजाम किया है.
दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (अपराध) सतीश गोलचा ने आईएएनएस को बताया, “जहां तक मेरी जानकारी में है अब तक गोल्डन-र्रिटीवर की भर्ती केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप (एसपीजी) और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) में ही हुआ करती थी. राज्य पुलिस में दिल्ली के अलावा और इनकी किस-किस पुलिस ने भर्ती की है, कह पाना फिलहाल मुश्किल है.”
कई साल से दिल्ली पुलिस में इनकी देख-रेख के प्रभारी के बतौर इनकी तमाम नस्लों के करीब रहने वाले दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के डीसीपी (उपायुक्त सीआरओ) राजन भगत ने आईएएनएस से कहा, “यह जितने सुंदर, सभ्य, शांत और काबिल होते हैं उतनी ही इनकी देखभाल ज्यादा करनी पड़ती है. जरा भी वक्त भूखा रहना इनकी फितरत में नहीं होता है.”
दिल्ली पुलिस ने इन्हें क्या सोचकर और क्यों भर्ती किया? पूछने पर सतीश गोलचा ने कहा, “हमने इन्हें पहली बार दिल्ली पुलिस में लिया है. इनकी तमाम खूबियों के मद्देनजर ही. फिलहाल इनकी संख्या पांच है. जल्दी ही इन्हें पोस्ट करके इनसे काम लेना शुरू कर दिया जाएगा. परिणाम बेहतर आए तो दिल्ली पुलिस में इनकी संख्या बढ़ाए जाने पर भी विचार किया जा सकता है.”
दिल्ली पुलिस मुख्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने आईएएनएस को बताया, “इन पांच गोल्डन रिट्रीवर के साथ इनके 15 और नए साथी भी दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए हैं. फिलहाल निकट भविष्य में दिल्ली पुलिस में पोस्टिंग मिलने का इंतजार कर रहे इन सभी 20 बेजुबानों की विशेष ट्रेनिंग सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के टेकनपुर (ग्वालियर, मध्य प्रदेश) स्थित प्रशिक्षण केंद्र में पूरी हुई है.”
दिल्ली पुलिस के बेड़े में पहली बार शामिल होने वाले इन पांच गोल्डन-र्रिटीवर का नाम है कांगो, जैंड्रा, क्रिसी, कोस्बी और कामत. दरअसल यह हैं दिल्ली पुलिस के स्वान दस्ते यानी ‘डॉग-स्क्वॉड’ टीम के बेहद खास और नये ‘जवान’.
Bureau Report
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