अयोध्या: सुप्रीम कोर्ट में नक्शा फाड़ने के मामले में श्री राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ राम विलास वेदांती अब मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराएंगे. राम विलास वेदांती का कहना है कि राजीव धवन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने से अयोध्या विवाद में फैसला प्रभावित हो सकता है. उनके खिलाफ मुकदमा फैसला आने के बाद दर्ज कराया जाएगा.
राम विलास वेदांती ने कहा कि राजीव धवन ने केवल कोर्ट का ही नहीं अपमान किया, संविधान का अपमान किया है. न्याय का अपमान किया, न्यायधीशों का अपमान किया है. न्यायधीशों के बीच में नक्शे को चार टुकड़े में फाड़कर फेंक देना ये भारतीय संस्कृति का अपमान है. उन्होंने कहा कि मैं एफआईआर दर्ज कराऊंगा.
उन्होंने कहा कि मैंने इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों से बात की, उन्होंने कहा कि इससे मुकदमा प्रभावित हो सकता है. क्योंकि जजों के समाने ऐसी हरकत की गई है तो जजों को स्वयं संज्ञान लेना चाहिए. उन्होंने विश्वास जताया कि फैसला राम लाला के पक्ष में ही आएगा. जब निर्णय आ जाएगा तो मैं राजीव धवन को देखूंगा.
दरअसल, अयोध्या केस की 40वें दिन सुनवाई के दौरान बुधवार को मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बेहद आपत्तिजनक व्यवहार दिखाया और हिंदू पक्ष के वकील विकास सिंह द्वारा कोर्ट के सामने पेश किए गए नक्शे की कापियां फाड़ दीं. हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने विवादित जगह पर मन्दिर की मौजूदगी साबित करने के लिए पूर्व IPS किशोर कुणाल की एक किताब “Ayodhya Revisited’ का हवाला देना चाहा. राजीव धवन ने इसे रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बताकर विरोध किया.
अयोध्या केस: सभी पक्षों की दलीलें पूरी, फैसला सुरक्षित
इधर, अयोध्या केस में छह अगस्त से चल रही नियमित सुनवाई सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद पूरी हो गई. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कहा जा रहा है कि 17 नवंबर से पहले फैसला आ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रिटायर होने वाले हैं. वह इस केस की सुनवाई के लिए गठित संविधान पीठ के मुखिया हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की 40वें दिन की सुनवाई में रामलला विराजमान के सीएस वैद्यनाथन ने अपनी जिरह में कहा कि पैग़ंबर मोहम्मद ने कहा था कि किसी को मस्ज़िद उसी ज़मीन पर बनानी चाहिए जिसका वह मालिक है. सुन्नी वक्फ बोर्ड जगह पर मालिकाना हक साबित करने में नाकाम रहा और सिर्फ नमाज़ पढ़ने को आधार बना कर ज़मीन दिए जाने की मांग कर रहा है.
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