नईदिल्ली: बीता साल कार निर्माता कंपनियों के लिहाज से सबसे खराब साबित हुआ है. 2019 में कार कंपनियों ने अपने न्यूनतम गाड़ियां बेची है. देसी और विदेशी सभी कंपनियां को घाटा हुआ है. बाजार की अनिश्चितता, फाइनेंस की परेशानी और आर्थिक मामलों में गिरावट के बीच पूरे भारतीय बाजार में मायूसी छाई रही. कार बाजार पिछले दो दशकों के सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज करके -13 फिसदी की निचले स्तर पर पहुंच गई है.
कार, वैन और एसयूवी सालभर में 30 लाख का आंकड़ा भी नहीं छू पाए
बाजार में मिल रहे आंकड़ों के मुताबिक कार बाजार का हाल बहुत बुरा है. कार, वैन, और एसयूवी किसी भी सेगमेंट में कोई कंपनी 30 लाख यूनिट बेचने के आंकड़े को नहीं छू पाया. ऐसा नहीं है कि मंदी की मार किसी एक कंपनी या सेगमेंट पर पड़ी हो. जानकारी के मुताबिक मारूती सूजूकी, ह्यूंडे, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, होन्डा और टोयोटा सभी इस मंदी की मार में झूलसे हैं.
2018 मध्य से ही मंदी की मार हो चुकी थी शुरु
ऑटोमोबाइल कंपनी के विशेषज्ञो का कहना है कि कार मार्केट में मंदी की मार 2018 मध्य से ही शुरू हो गया था. जून-जुलाई में लगभग 5 फीसदी का इजाफा हुआ था. इसके बाद से कार की सेल गिरती ही गई. दिसंबर 2019 के हिसाब से कार कंपनियों को लगभग -13 प्रतिशत का घाटा सहना पड़ा है.
सिर्फ KIA मोटर्स और MG मोटर्स ने पाया मुनाफा
इस मंदी वाले बाजार में ही पिछले साल दो विदेशी कार कंपनियों ने भारतीय बाजार में प्रवेश किया. सबसे आश्चर्य की बात ये है कि दोनो की कंपनियों ने इस मंदी के बावजूद मुनाफा कमाया है. खरीददारों ने इन दो कारों को खरीदने में खासी दिलचस्पी दिखाई.
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