निर्भया केस: फांसी की तारीख का ऐलान होने के बाद पहली क्‍यूरेटिव पिटीशन दायर | जानिए इस अर्जी का मतलब

निर्भया केस: फांसी की तारीख का ऐलान होने के बाद पहली क्‍यूरेटिव पिटीशन दायर | जानिए इस अर्जी का मतलबनईदिल्‍ली: निर्भया गैंगरेप केस में सुप्रीम कोर्ट में पहली क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर दी गई है. दोषी विनय शर्मा की तरफ से यह क्यूरेटिव याचिका दाखिल की गई है. दरअसल, चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पहली क्‍यूरेटिव पिटीशन दायर की गई है. 

क्या होती है क्यूरेटिव पिटीशन? 
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में किसी दोषी की फांसी की सजा पर मुहर लगने के बाद उसके पास फांसी से बचने के लिए दो विकल्प होते हैं. इनमें पहला विकल्‍प होता है दया याचिका, जो राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है. पुनर्विचार याचिका जो सुप्रीम कोर्ट में लगाई जाती है. अगर ये दोनों याचिकाएं खारिज हो जाती हैं तो दोषी के पास क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने का ऑप्शन होता है. यह पिटीशन सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की जाती है. इसमें कोर्ट ने जो सज़ा तय की है, उसमें कमी के लिए आग्रह किया जाता है. यानि की फांसी की सज़ा उम्रकैद में बदल सकती है. यह विकल्प इसलिए है, ताकि न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग न हो सके.

सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन फाइल करते हुए याची को यह बताना होता है कि वह किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहा है. इस याचिका का किसी वरिष्‍ठ वकील द्वारा द्वारा सत्‍यापित होना जरूरी होता है. इस पिटीशन को सबसे पहले कोर्ट के 3 सबसे वरिष्‍ठ जजों के पास भेजा है. उनका फैसला अंतिम होता है. क्यूरेटिव पिटीशन पर फैसला आने के बाद अपील के सारे रास्ते खत्म हो जाते हैं.

निचली अदालत ने जारी किया था डेथ वारंट…
उल्‍लेखनीय है कि बीते 7 जनवरी को दिल्‍ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के साथ वर्ष 2012 में चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मौत के गुनहगारों के खिलाफ ‘डेथ वारंट’ जारी किया. पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने डेथ वारंट जारी करते हुए दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी देने का निर्देश दिया.

पवन गुप्ता, मुकेश सिंह, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर मामले में दोषी हैं. डेथ वारंट जारी होने के बाद दोषियों के वकीलों ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव याचिका दायर करेंगे. सभी दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी दायर कर सकते हैं.

16 दिसंबर, 2012 को 23 वर्षीय महिला के साथ चलती बस में बेरहमी से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, जिसके चलते बाद में उसकी मौत हो गई थी. मामले में छह आरोपियों को पकड़ा गया था. इन सभी में से एक आरोपी नाबालिग था. उसे जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट के समक्ष पेश किया गया था. वहीं, एक अन्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर दी थी.

बाकी बचे चारों आरोपियों को ट्रायल कोर्ट ने दोषी माना और सितंबर 2013 में मौत की सजा सुनाई. इसके बाद 2014 में दिल्ली की हाईकोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्णय को सही माना. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी थी.

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