J&K: आतंकियों के मददगार DSP देवेंद्र सिंह से वापस लिया गया गैलेंट्री अवॉर्ड, नौकरी भी जाएगी

J&K: आतंकियों के मददगार DSP देवेंद्र सिंह से वापस लिया गया गैलेंट्री अवॉर्ड, नौकरी भी जाएगीश्रीनगर: आतंकवादियों के बीच सांठगांठ मामले में गिरफ्तार हुए जम्मू-कश्मीर के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) देवेंद्र सिंह से गैलेंट्री अवॉर्ड वापस ले लिया गया है. जम्मू कश्मीर सरकार ने कहा है कि डीएसपी देवेंद्र सिंह से गैलेंट्री अवॉर्ड वापस लिया जाता है. साथ ही जम्मू कश्मीर पुलिस ने देवेंद्र सिंह की सेवा समाप्ति की भी सिफारिश की है. सूत्रों का कहना है कि एनआई जैसे ही देवेंद्र सिंह को हिरासत में लेगी वैसे ही देवेंद्र की जम्मू कश्मीर पुलिस में सेवा समाप्त मान ली जाएगी.

डीएसपी देवेंद्र सिंह के अतीत को खुफिया एजेंसियां खंगालने वाली हैं. शनिवार को देवेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गृह मंत्रालय को गिरफ्तारी की जानकारी दी और गृह सचिव को कुलगाम मुठभेड़ के बारे में जानकारी दी गई.

देवेंद्र सिंह जम्मू-कश्मीर पुलिस के आतंकवाद रोधी विशेष अभियान समूह (एसओजी) में एक सब-इंस्पेक्टर के रूप में शामिल हुए थे और वह वीरता के लिए प्रतिष्ठित पुलिस पदक हासिल करने के साथ डीएसपी रैंक पर तेजी से पहुंचे. उन्हें यह वीरता पुरस्कार आतंकवाद रोधी ड्यूटी के लिए मिला. देवेंद्र सिंह से अब खुफिया ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग व मिलिट्री इंटेलीजेंस टीम पूछताछ करेगी. सूत्रों ने कहा कि देवेंद्र सिंह से उनका राष्ट्रपति वीरता पदक पुरस्कार लिया जा सकता है. इस प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है.

देवेंद्र सिंह का नाम पहली बार संसद हमले के दोषी अफजल गुरु द्वारा अपने बचाव के दौरान कोर्ट में उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए जाने पर ग्रे जोन में आया था. लेकिन इसके बाद राज्य पुलिस व खुफिया एजेंसियों ने आतंकवादी के दिमाग की उपज मानकर उन आरोपों को खारिज कर दिया था.

अफजल गुरु ने अदालत में हलफनामे में अपने बयान में कहा था कि सिंह ने प्रताड़ित किया था और परिवार को मारने की धमकी थी. गुरु ने कहा था कि सिंह ने उसे संसद हमले के आतंकवादियों को जम्मू एवं कश्मीर से दिल्ली ले जाने के लिए बाध्य किया था और दिल्ली में किराये का कमरा भी लिया था. इसके साथ ही उसने सफेद रंग की सेकेंड हैंड एम्बैसडर कार भी खरीदी थी जिसे आतंकवादियों ने संसद हमले के दौरान इस्तेमाल किया था. अफजल गुरु की ये बातें उस वक्त स्थानीय अखबारों में छपी थी लेकिन पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने इसे आतंकवादी के दिमाग की उपज बताकर नकार दिया था.

शनिवार की सिंह की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आईएएनएस से कहा कि देविंदर सिंह अपने जम्मू के घर में आतंकवादियों को पनाह देता था. इसके साथ ही अपने पैतृक घर पुलवामा जिले के त्राल में भी वह ऐसा ही करता था. कश्मीर जोन के इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने कहा कि आतंकवादियों को जम्मू तक पहुंचाने के लिए सिंह 12 लाख रुपये लेता था.

देवेंद्र सिंह को गृह मंत्रालय ने सम्मानित नहीं किया था : जम्मू एवं कश्मीर पुलिस
जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने मंगलवार को मीडिया के कुछ वर्गो में चल रही खबर का खंडन करते हुए कहा कि पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) दविंदर सिंह को गृह मंत्रालय ने कभी किसी पदक से सम्मानित नहीं किया था. हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी नवीद बाबू के साथ संबंधों के चलते शनिवार को डीएसपी दविंदर सिंह को गिरफ्तार किया गया है.

जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने ट्वीट में कहा, ‘यह स्पष्ट करना है कि जैसा कि कुछ मीडिया आउटलेट्स में दिखाया जा रहा है, डीएसपी दविंदर सिंह को एमएचए (गृह मंत्रालय) द्वारा किसी गैलेंट्री या मेधावी पदक से सम्मानित नहीं किया गया है.’

ट्वीट में कहा गया, ‘पूर्व में जम्मू-कश्मीर राज्य द्वारा 2018 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उनकी सेवा के दौरान केवल वीरता पदक से उन्हें सम्मानित किया गया था.’

पुलिस ने कहा कि जिला पुलिस लाइंस पुलवामा में जब वह डीएसपी के रूप में तैनात थे, तब 25-26 अगस्त 2017 को यहां आतंकवादियों द्वारा एक फिदायीन हमले का सामना करने में उनकी भागीदारी के लिए उन्हें पदक प्रदान किया गया था.

मीडिया के एक वर्ग ने यह खबर चलाई थी कि पिछले साल सिंह को वीरता के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. ऐसे में पुलिस ने मीडियाकर्मियों को तथ्यहीन कहानियों से बचने की सलाह दी है.

Bureau Report

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