नईदिल्ली: राजधानी दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आज राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 22 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, 2020 यानी की राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्रदान किया. इन 22 बच्चों में 10 लड़कियां और 12 लड़के हैं.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हाथों से राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजे जाने के बाद बच्चों के चेहरों पर काफी खुशी नजर आई. खास बात तो ये है कि साल 2020 में वीरता पुरस्कारों के लिए भारतीय बाल कल्याण परिषद ने जिन 22 बच्चों को चुना, उनकी कहानियां काफी दिलचस्प और प्रेरणा देने वाली हैं.
इन 22 बच्चों की हिम्मत और साहस की कहानी सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. नन्ही सी उम्र में इन बच्चों ने अपनी वीरता के दम पर किसी की जान बचाई तो किसी को लुटेरों से बचाया. इनमें से एक बच्चे मुहम्मद मुहसिन को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार दिया गया है. मुहम्मद मुहसिन ने दोस्तों को बचाने के चक्कर में अपनी जान गंवाई थी.
कार्यक्रम के दौरान बच्चों की वीरता की दास्तां को सुनाते हुए कई पैरेंट्स भावुक भी हो गए. हिमाचल प्रदेश की बेटी अलाइका अपने परिवार वालों के लिए फरिश्ता साबित हुई. अलाइका के परजिन बताते हैं कि एक बार कहीं जाते हुए उनकी कार खाई में गिरने लगी. टक्कर के बाद पूरा परिवार बेहोश हो गया. सबसे पहले होश अलाइका को आया. 13 साल की अलाइका ने बिना डरे लोगों को मदद के लिए बुलाकर अपने परिवार की जान बचाई थी.
वहीं, 15 साल के आदित्य ने एक जलती बस से 42 लोगों को निकालकर उनकी जान बचाई थी. वहीं बीते 24 अक्टूबर 2019 को कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में 16 साल के मुगल ने अपने परिजनों को आतंकी फायरिंग से बचाया था. अगर वो उस समय हिम्मत से काम न लेते तो आज उनका परिवार उनके साथ न होता.
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वालों में असम के मास्टर श्री कमल कृष्ण दास, छत्तीसगढ़ की कांति पैकरा और वर्णेश्वरी निर्मलकर, केरल के फतह पीके, कर्नाटक की आरती किरण सेठ औरवेंकटेश, महाराष्ट्र की जेन सदावर्ते और आकाश मछींद्र खिल्लारे का भी नाम शामिल है.
Bureau Report
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