मुंबई: नोटबंदी के बाद कैश की किल्लत बरकरार है। ग्राहकों के गुस्से से बचने के लिए बैंक एटीएम के लिए जारी पैसा भी काउंटरों से बांट रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस पर आपत्ति जताई है। बैंकों को एटीएम के लिए रिलीज धनराशि का उपयोग किसी और स्रोत में करने पर चेतावनी जारी की गई है। साथ ही बैंकों से एटीएम का हिसाब-किताब मांगा गया है।
बैंकों को मांग की तुलना में महज 10 से 15 फीसदी धन ही मिल रहा है। कैश की किल्लत को देखते हुए आरबीआई कैश काउंटरों के लिए अलग और एटीएम के लिए अलग धनराशि जारी कर रहा है, लेकिन इसकी मात्रा मांग के मुकाबले बहुत कम है। पिछले सात दिनों में एटीएम के लिए 110 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। आरबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि बैंक एटीएम का पैसा भी काउंटरों से बांट रहे हैं। यही वजह है कि ज्यादातर एटीएम में नो कैश का बोर्ड लगा है।
आरबीआई सूत्र के मुताबिक एटीएम का पैसा काउंटरों से बांटने के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। पांच सौ रुपए के नोट सीमित मात्रा में जारी किए गए हैं और उनका 70 फीसदी हिस्सा एटीएम के लिए हैं। बैंक यहां भी मनमानी कर रहे हैं और एटीएम में पांच सौ के नोट कम डाल रहे हैं। इसे देखते हुए बैंकों को चेतावनी दी गई है कि ऐसा न करें। अब बैंकों को एटीएम में डाली गई धनराशि का ब्योरा अलग से आरबीआई को देना होगा। बैंकों को बताना होगा कि कितने और किस एटीएम में कितनी राशि किस रूप में भरी गई हैं।
वित्त मंत्रालय ने केन्द्रीय रिजर्व बैंक को एक बार फिर से नोटबंदी की शिकार हुई 500 रुपए और 1000 रुपए की करेंसी को गिनने के लिए कहा है। केन्द्र सरकार का यह फरमान लगभग 13 लाख करोड़ रुपए की प्रतिबंधित करेसी बैंकों में एकत्रित होने के बाद दिया गया है। रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि 30 दिसंबर की डेडलाइन तक पूरी संभावना है कि 500 रुपए और 1000 रुपए की संचालित पूरी करेंसी बैंकों में वापस पहुंच सकती है।
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास ने रिजर्व बैंक के माध्यम से सभी बैंकों को एक बार फिर से उनके पास पड़ी करेंसी को गिनने के लिए कहा है। दास के मुताबिक इस बात की संभावना को नकारा नहीं जा सकता कि बीते 35 दिनों के दौरान लगातार जमा हो रही 500 रुपए और 1000 रुपए की करेंसी को कुछ जगहों पर दो बार गिन लिया गया हो। लिहाजा, सभी बैंकों को जरूरत है कि वह एक बार फिर नए सिरे से करेंसी को गिनने का काम करें, जिससे पुरानी करेंसी का सही आंकलन किया जा सके।
Bureau Report
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