मुंबई: ट्रेनों के ट्रेक से उतरने की घटनाएं बदस्तूर जारी हैं। अभी कानपुर ग्रामीण के रुरा रेलवे स्टेशन के नज़दीक अजमेर-सियालदाह एक्सप्रेस ट्रेन के बेपटरी होने की घटना को ज़्यादा वक़्त भी नहीं बीता था कि इसी तरह का एक और हादसा हो गया। गुरुवार सुबह महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले में कल्याण और विठलवाड़ी स्टेशनों के बीच कुर्ला-अम्बरनाथ लोकल ट्रेन की पांच बोगियां ट्रेक से नीचे उत्तर गईं।
राहत की बात ये रही कि इस हादसे में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई। जानकारी के मुताबिक़, यह हादसा गुरुवार सुबह 5:30 बजे हुआ। इस हादसे के बाद से इस ट्रेक पर ट्रेनों का संचालन थोड़ी देर प्रभावित रहा। हालांकि पटरियों की मरम्मत का काम पूरा कर रेल सेवाएं दोबारा शुरू कर दी गई।
इधर, रेलवे अधिकारी इस हादसे के कारणों का पता लगाने में जुट गए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस बुधवार सुबह उत्तर प्रदेश में कानपुर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में ट्रेन के 15 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।
रुरा रेल हादसे के पीछे प्राथमिक तौर पर रेलवे ट्रैक में फ्रैक्चर को मुख्य कारण माना जा रहा है। हालांकि हादसे का शिकार हुई ट्रेन से ठीक नौ मिनट पहले दूसरी ट्रेन इसी ट्रैक से गुजरी थी। आकड़े भी रेलवे सुरक्षा की दिन ब दिन बदतर होती स्थिति की ओर इशारा कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेलवे के एक आंतरिक नोट में यह स्वीकार किया गया है कि डीरेलमेंट के पीछे मुख्य कारण रेलवे ट्रैक की कमजोर देखभाल मुख्य वजह हैं। इनमें बाढ़, भूस्खलन, पटरी के पत्थर (गिट्टियां) खिसकना, उपयुक्त फिटिंग व गिट्टियों की कमी मुख्य कारण है। ऐसे कई कारण होते हैं, जिससे रेल की पटरियां हिल जाती हैं। अधिकतर मामलों में लापरवाही को ही मुख्य वजह बताया गया है।
इस वित्त वर्ष में नवंबर 15 तक 67 प्रतिशत का बढ़ोतरी हुई। पिछले वर्ष नवंबर तक 69 हादसे हुए जबकि 2016 में इस दौरान यह आकड़ा 80 रहा। भारतीय रेल 115000 किलोमीटर लंबे ट्रैक की देखभाल करती है।
पिछले तीन सालों के दौरान हुए रेल हादसों में से 50 प्रतिशत के पीछे डीरेलमेंट को कारण बताया गया।
इनमें से 29 प्रतिशत फ्रैक्चर रेलवे ट्रैक में कमी की वजह से हुुए।
रेलवे सुरक्षा पर 2012 की अनिल काकोदकर कमेटी ने इंटीगरल कोच फैक्ट्री के सभी कोच (आईसीएफ) एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) कोच से बदलने की सिफारिश की। कमेटी ने 10 साल में हुए हादसों की अध्ययन कर बताया कि 100 व 120 की गति से 20 से 24 पुराने कोच की ट्रेन चलाना पूरी तरह असुरक्षित है। लेकिन अभी भी रेलवे पूरी तरह साधारण कोचों को एलएचबी में बदल नहीं सकी है। यही भी डीरेलमेंट का एक कारण है।
Bureau Report
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