लखनऊ: सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की ओर से 325 उम्मीदवारों की सूची जारी करने के बाद अखिलेश यादव ने गुरुवार को अपनी सूची जारी कर दी। 235 उम्मीदवारों की इस सूची के आने के बाद सपा की अंदरखाने चल रही कलह एक बार फिर सामने आ गई है। इसके बाद देर रात चाचा शिवपाल ने भी 68 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। अब पार्टी दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। एक खेमे की अगुवार्इ अखिलेश यादव कर रहे हैं तो दूसरे खेमे में शिवपाल यादव हैं। हालांकि मुलायम सिंह को शिवपाल के साथ माना जा रहा है।
पहली सूची में जहां शिवपाल समर्थकों को तरजीह दी गई थी, वहीं अखिलेश ने अपनी सूची में शिवपाल के सभी करीबियों का पत्ता काट दिया है। इसके साथ ही अखिलेश ने मुलायम के दो करीबी मंत्रियों को भी बर्खास्त कर दिया है। मुलायम ने अभी 78 सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। घमासान के बीच भविष्य की रणनीति तय करने के लिए अखिलेश ने अपने समर्थकों की बैठक बुला ली थी। इसके बाद यह सूची जारी की गई है।
सपा में मचे घमासान के बीच सियासी हलकों में गहमागहमी तेज हो गई है। इसमें सपा में एक बार फिर विभाजन के कयास लगाए जाने लगे हैं। इस बात की बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि पिछले दिनों शिवपाल और अखिलेश के बीच की तनातनी के दौरान सार्वजनिक रूप से शिवपाल ने अखिलेश पर आरोप लगाते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री ने उनसे कहा था कि वह अलग दल बना लेंगे। कयास हैं कि अखिलेश पिता की छाया से निकलकर अलग राह बनाने की तरफ अग्रसर हैं।
शीला दीक्षित को पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर और राहुल गांधी की धुआंधार रैलियों के दम पर कांग्रेस ने शुरुआत में माहौल बनाने की कोशिश की थी। हालांकि जल्द ही उसे लगा कि उसे एक मजबूत सहारे की जरूरत है। सपा के साथ उनकी बातचीत भी चली। कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इस सिलसिले में मुलायम और अखिलेश से मुलाकात भी की। अब मुलायम की गठबंधन नहीं करने की घोषणा से कांग्रेस की उम्मीदों को झटका तो लगा है, लेकिन अभी भी उसकी उम्मीद अखिलेश के रुख पर निर्भर है। अखिलेश की सेक्युलर, साफ छवि और विकासमूलक एजेंडा भी कांग्रेस के लिए मुफीद है। ऐसे में सपा में चल रहे घमासान पर कांग्रेस की पैनी नजर है।
खास बात यह है कि अखिलेश की जनता के बीच छवि पाक-साफ है। युवाओं में भी उनकी अपील है। उन्हें यकीन है कि उनके पांच वर्षों के काम को जनता याद रखेगी। अपने इसी काम और साफ छवि के साथ अखिलेश जनता के बीच चुनाव में जाना चाहते हैं। इसके बावजूद सपा से अलग राह की स्थिति में उनको सहयोगियों की जरूरत होगी। अखिलेश ने कहा था कि वैसे तो सपा अकेले दम पर ही बहुमत में आएगी, लेकिन यदि कांग्रेस से गठबंधन हो जाएगा तो राज्य में 300 से भी ज्यादा सीटें जीतेंगे। अब मुलायम ने घोषणा करते हुए कहा है कि सपा किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। ऐसी स्थिति में यदि अखिलेश अपनी अलग राह चुनते हैं, तो वह कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकते हैं।
अखिलेश ने सपा अध्यक्ष मुलायम से बगावत कर 235 उम्मीदवारों की अपनी सूची जारी की है। राज्य विधानसभा चुनाव के लिए मुलायम ने सपा के प्रदेश अध्यक्ष और अपने छोटे भाई शिवपाल सिहं यादव के साथ पार्टी के 325 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। अखिलेश ने अपनी सूची में पंचायतीराज मंत्री रामगोविंद चौधरी को बांसडीह (बलिया) और तेज नारायण उर्फ पवन पांडेय को अयोध्या से उम्मीदवार घोषित किया है। सरधना से अतुल प्रधान को उम्मीदवार बनाया गया है। सूची में 171 वर्तमान विधायकों के नाम शामिल हैं, जबकि 64 उम्मीदवार उन सीटों पर घोषित किए गए हैं जहां 2012 में सपा उम्मीदवार हारे थे। अखिलेश की सूची के बाद सपा के टूटने के कयास लग रहे हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यह अखिलेश की दबाव की राजनीति भी हो सकती है।
Bureau Report
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