नईदिल्ली: जो महिलाएं सर्दियों में गर्भ धारण करती हैं, उनको गर्भावस्था में डायबिटीज होने का खतरा अधिक रहता है। एक स्टडी में यह बात सामने आई है। इससे मां और बच्चे, दोनों को ही कई तरह के जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड के शोधकर्ताओं ने अपनी इस स्टडी में बीते 5 साल में दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में हुए 60,000 से अधिक शिशुओं के जन्म से जुड़े आंकड़ों के आधार पर निष्कर्ष निकाले। ये अपनी तरह की दुनिया में पहली स्टडी है।
गेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस को गर्भावस्था की गंभीर जटिलता माना जाता है। इसमें गर्भावस्था में ब्लड शुगर पर नियंत्रण नहीं रह पाता। इस तरह की डायबिटीज की जटिलताओं में मां का काफी वजनी हो जाना, बच्चे का समय से पहले जन्म, ब्लड शुगर का घट जाना आदि शामिल हैं। ऐसे में जन्म लेने वाले बच्चे में भी बड़े होकर टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड के रोबिनसन रिसर्च इंस्टीट्यूट से जुड़ीं पेट्रा वरबर्ग ने कहा, ‘हमारी स्टडी अपनी तरह की पहली है जिसमें गेस्टेशनल डायबिटीज और ‘किस मौसम में गर्भधारण हुआ’ के बीच संबंध का पुख्ता सबूत मिलता है’। ये स्टडी 2007 से 2011 के बीच की गई।
इसमें देखा गया कि 2007 में गेस्टेशनल डायबिटीज से प्रभावित होने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या 4.9 फीसदी थी जो 2011 में बढ़ कर 7.2 फीसदी हो गईं।
स्टडी से ये भी सामने आया कि जो महिलाएं सर्दियों में गर्भ धारण करती हैं उनमें प्रेग्नेंसी के दौरान गेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है। इस तरह की कुल गर्भवती महिलाओं में 6.6 फीसदी महिलाओं में गेस्टेशनल डायबिटीज पाई गई। वहीं गर्मियों में गर्भ धारण करने वाली महिलाओं में ये आंकड़ा सिर्फ 5.4 फीसदी ही रहा. ये स्टडी बीएमजे डायबिटीज रिसर्च एंड केयर जरनल में प्रकाशित हुई है।
Bureau Report
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