जयपुर: रियासतकाल से चले आ रहे जयपुर और मारवाड़ के बीच सांभर झील पर दावे को लेकर चल रहे विवाद का सरकार ने राजनीतिक हल निकालते हुए दो गैर आबादी राजस्व गांव घोषित कर दिया है। नागौर क्षेत्र में आने वाली झील का नाम सांभर झील नावां होगा, जबकि जयपुर में दिए गए भाग का नाम सांभर झील गांव ही रहेगा।
अब तक यह झील जयपुर जिले की सीमा में ही थी। अब तक इस झील का प्रशासनिक नियंत्रण भारत सरकार के उपक्रम सांभर साल्ट के अधीन है। राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं होने के कारण अब तक इस झील के इलाके का सीमांकन भी नहीं हो सका है।
रियासतकाल से ही इस झील को लेकर जयपुर और जोधपुर रियासतों के बीच विवाद चल रहा था। झील किस तहसील और जिले का हिस्सा होगी, इसे लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बीच मतभेद थे और सरकार पर दबाव भी था।
राजस्व गांव घोषित करने से राज्य सरकार का दखल अब इस झील के इलाके में बढ़ जाएगा। अतिक्रमणों पर काबू करने में राज्य सरकार को मदद मिलेगी। गत एक साल में चार राजस्व ग्राम बढऩे के साथ थी राज्य में अब राजस्व गांवों की संख्या 46 हजार 231 हो गई है। प्रदेश में गांवों की संख्या के लिहाज से 3030 गांवों के साथ गंगानगर पहले, 2745 गांवों के साथ बाड़मेर दूसरे व 2453 गांवों के साथ उदयपुर तीसरे स्थान पर है। राज्य सरकार ने इस वर्ष 131 नए राजस्व गांव बनाए हैं। इनमें अलवर में सर्वाधिक 22, बाड़मेर में 21, जयपुर में 16 व नागौर में 4 गांव बने हैं।
Bureau Report
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