RSS के समर्थन से सुषमा बन सकती हैं अगली प्रेसिडेंट, दो बड़े नेता नाम बढ़ा रहे हैं आगे

RSS के समर्थन से सुषमा बन सकती हैं अगली प्रेसिडेंट, दो बड़े नेता नाम बढ़ा रहे हैं आगेनई दिल्ली :  राष्ट्रपति का चुनाव भले ही जुलाई में होना है, लेकिन इस पर अटकलें अभी से शुरू हो गई हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का तो भाजपा का एक खेमा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का नाम इसके लिए आगे बढ़ा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, आरएसएस के दो बड़े नेता भैयाजी जोशी और दत्तात्रेय होसबोले सुषमा को प्रोजेक्ट कर रहे हैं। 

आरएसएस प्रमुख का भी सपोर्ट

– माना जा रहा है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की भी इसे मौन स्वीकृति है। संघ का समर्थन आगे भी बना रहा तो संभव है कि सुषमा राष्ट्रपति बन जाएं। 
– दूसरी तरफ, सुमित्रा महाजन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ बेहतर तालमेल है। 
– राष्ट्रपति चुनाव में सभी सांसद और विधायक वोट देते हैं। भाजपा सूत्रों की मानें तो राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का फैसला यूपी और पंजाब सहित पांच राज्यों के चुनावी नतीजों पर निर्भर करेगा।
– राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से अंकगणित अभी पूरी तरह भाजपा के पक्ष में नहीं है। विधानसभा चुनावों में उम्मीद के अनुसार नतीजे नहीं आए तो ऐसा उम्मीदवार लाना होगा, जिसके नाम पर विपक्ष सहमत हो। ऐसे में, सुषमा की दावेदारी और मजबूत होने की उम्मीद है।

अभी अपने दम पर राष्ट्रपति बनाने की कंडीशन में नहीं एनडीए
– भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए अभी अपने दम पर राष्ट्रपति बनाने की स्थिति में नहीं है।
– सांसदों और विधायकों के वोट का आकलन 1971 की जनगणना के आधार पर एक निश्चित रेशियो में होता है।
– कुल 10.98 लाख वोटों में से जीत के लिए जरूरी मतों से अभी एनडीए करीब पौने दो लाख वोट से पीछे है। इसके पास करीब 457342 मत हैं।
– ऐसे में उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे अहम रहेंगे।

अपोजिशन पार्टियां भी सुषमा को लेकर पॉजिटिव
– सुषमा को लेकर भाजपा के साथ ही अपोजिशन पार्टियां भी पॉजिटिव हैं। मेरिट के आधार पर भी उन्हें नकारा नहीं जा सकता है। 
– किडनी ट्रांसप्लान्ट के बाद हेल्थ उनकी बड़ी परेशानी है। ऐसे में, राष्ट्रपति का पद उनके लिए ज्यादा मुफीद रहेगा।

बीजेडी, अन्नाद्रमुक और ममता का समर्थन पाना चुनौती
– पिछले राष्ट्रपति चुनाव में बीजू जनता दल और अन्नाद्रमुक के सपोर्ट के बावजूद भाजपा कामयाब नहीं रही थी। 
– इस बार इन दोनों के साथ ही ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का समर्थन पाना भी चुनौती रहेगी।

Bureau Report

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