बीकानेर: नोटबंदी से परेशान लोगों के लिए राहत की खबर। फरवरी में उन्हें एटीएम से रुपए निकालने के लिए लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। न बैंकों से रुपए लेने में मशक्कत करनी पड़ेगी।नोटबंदी के बाद बिगड़े हालात फरवरी तक सामान्य हो जाएंगे।
मुख्य वजह यह है कि बैंकों को अब कैश के लिए आरबीआई पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, क्योंकि सरकारी विभागों, टोल प्लाजा व रेलवे के साथ लोगों ने भीे अब बैंकों में कैश जमा करवाना शुरू कर दिया है। उधर आरबीआई से भी कैश आने की रफ्तार पहले से बढ़ गई है।
बीकानेर जिले में 36 बैंकों की 276 ब्रांच हैं, जिनके 308 एटीएम लगे हुए हैं। पत्रिका रिपोर्टर ने शहर के एटीएम खाली रहने व बैंकों में चल रही कैश की किल्लत की वजह जानी तो पता चला कि हालात क्यों नहीं सुधर रहे हैं।
बैंक अधिकारियों के मुताबिक बीकानेर को हर सप्ताह एक हजार करोड़ रुपए की जरूरत है, जबकि आरबीआई से चेस्ट ब्रांच में नई करेंसी के रूप में महज 200 करोड़ रुपए ही आते हैं।
उक्त करेंसी भी चेस्ट ब्रांच व अन्य बैंकों को आरबीआई अपने हिसाब से भेजती है। रुपयों की कमी के चलते सभी एटीएम में नोट नहीं भरे जा पाते हैं।
नोटबंदी के बाद लोग 31 दिसंबर तक पांच सौ और एक हजार रुपए के पुराने नोट को इधर-उधर खपाने में जुटे थे ताकि बैंकों में कैश कम से कम जमा करवाना पड़े। अब सभी का ध्यान बैंकों में रुपए जमा करवाने से हट गया है, इसलिए भीड़ रुपए निकालने वाले लोगों की ज्यादा रहती है।
बैंक अधिकारियों के अनुसार दो महीने में जितनी करेंसी बैंकों से निकली है, वह अब धीरे-धीरे वापस आना शुरू हो गई है। पेट्रोल पंप संचालक, रेलवे, आरटीओ समेत राज्य सरकार के अन्य सरकारी महकमों से भी कैश जमा होने लगा है। एेसे में अब उम्मीद जगी है कि जल्द हालात सुधरेंगे।
बीकानेर को हर सप्ताह 1000 करोड़ रुपए की जरूरत है, जबकि महज 200 करोड़ रुपए की करेंसी से आरबीआई से आ रही है। इस वजह से सभी एटीएम में कैश नहीं डाला जा रहा है। बैंकों से निकाले गए रुपए अब लोग फिर से जमा करवाने लगे हैं।
पुराने नोट जमा होने बंद हो गए हैं। एेसे में अब सरकारी विभागों समेत रेलवे व पंप संचालकों से भी नई करेंसी जमा होने लगा है। एेसे में अब अगले महीने तक हालात सामान्य हो जाएंगे।
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