लखनऊ : जानकारी के मुताबिक ये बात सामने आई कि इस प्रोजेक्ट के लिए ज्यादा मुआवजा पाने के लालच में खेती की जमीन को रिहायशी जमीन की श्रेणी में दिखाया गया है।अखिलेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट के बाद योगी सरकार की नजरें पिछली सरकार के एक और बड़े प्रोजेक्ट पर टेढ़ी हो गई हैं। यूपी सरकार ने आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे की जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए सर्वे जांच एजेंसी से भी संपर्क किया गया है।
इस मामले में प्रदेश सरकार ने 10 जिलों के डीएम को पत्र भेजा है और पिछले 18 महीने में हुई जमीन खरीद की रिपोर्ट मांगी है। बता दें कि एक्सप्रेस वे को विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया गया था। बता दें कि एक्सप्रेस-वे के लिए 232 गांवों के 30 हजार से ज्यादा किसानों से लगभग 3,500 हेक्टेयर भूमि आपसी सहमति से खरीदी गई थी।
विपक्षियों ने जहां अधूरा एक्सप्रेस वे बनाकर उसका उद्धाटन करने को लेकर अखिलेश पर निशाना साधा था वहीं अखिलेश ने पलटवार करते हुए ये तक कहा था कि प्रधानमंत्री अगर इस एक्सप्रेस वे पर चलेंगे तो वे खुद सपा को वोट दे देंगे।
प्रदेश के 10 जिलों से गुजरने वाला एक्सप्रेस-वे 302 किमी लंबा है। इसका निर्माण महज 23 माह में पूरा कराया गया है। एक्सप्रेस-वे 13 हजार करोड़ की लागत से बना है। सड़क की कुल लंबाई 370 किलोमीटर और चौड़ाई 110 मीटर है। एक्सप्रेस-वे उन्नाव, कानपुर, हरदोई, औरैया, मैनपुरी, कन्नौज, इटावा और फिरोजाबाद से आगरा को जोड़ेगा। यहीं नहीं, एक्सप्रेस-वे के रास्ते में गंगा समेत पांच नदियां भी पड़ेंगी।
इन्हें पार करने के लिए एक्सप्रेस वे पर 13 बड़े और 52 छोटे पुल व चार आरओबी बने हैं। सड़क पर आवाजाही में कोई रुकावट न हो इसका विशेष ध्यान रखते हुए 132 फुट ओवरब्रिज और गांव व कस्बों की सुविधा के लिए 59 अंडरपास दिए गए हैं।
वहीं तीन किमी लंबी हवाई पटटी के पास (खंभौली-कबीरपुर के बीच) एक्सप्रेस-वे की सड़क को आने वाले समय में 12 लेन किया जाएगा। सबसे बड़ी खासियत है कि आपात स्थिति मे हवाई पटटी पर जहाजों की लैंडिंग और टेकऑफ भी की जा सकेगी। इस दौरान दोनों ओर से ट्रैफिक भी चलता रहेगा।
Bureau Report
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