बाघोली: मैं रियाद की सकरा जेल में बंद हूं…। आप सबकी बहुत याद आती है…। बेकसूर हूं मैं…। मुझे फंसाया गया है…। ये ऐसे नहीं छोड़ेगे…आप कुछ भी करके मुझे यहां से रिहा करवा लो…। ये है श्रीराम व उसके परिजनों के बीच होने वाला संवाद। जो हर किसी की आंखे नम कर देता है। वजह…बेबसी। दोनों तरफ किसी का कोई बस नहीं चल पा रहा। दरअसल, नौंरगपुरा ग्राम पचंायत के राजस्व गांव सुनारी की नेहरा की ढाणी का शिवसहाय का बेटा श्रीराम 15 मार्च 2013 को किसी एजेन्ट के माध्यम 3 लाख रुपए खर्च करके सऊदी अरब कमाने गया था। वहां पर उसे ट्रेलर चालक का काम मिला।
फ रवरी 2014 को ट्रेलर का एक्सीडेंट हो गया, जिससे सामने वाली गाड़ी में सवार तीन लोगों की मौत हो गई थी। परिजनों की मानें तो उक्त ट्रेलर का बीमा नहीं होने पर क्लेम मालिक गाड़ी पर आ गया। जबकि श्रीराम को ट्रेलर की बीमा के संबंध में जानकारी नहीं थी। इसी बात का फायदा उठाकर मालिक ने बीमा क्लेम की राशि चुकाने के लिए श्रीराम को जिम्मेदार ठहरा दिया। क्लेम की राशि भारतीय मुद्रा के हिसाब से एक करोड़ 15 लाख बीस हजार रुपए है। यह राशि नहीं चुका पाने के कारण ही श्रीराम को सऊदी अरब के रियाद में सकरा नाम की जेल में बंद किया गया है। श्रीराम वहां की जेल से अक्सर अपने परिजनों को फोन अपनी यह पीड़ा करता है।
गरीबी में जी रहा परिवार
श्रीराम अपने परिवार में कमाने वाला अकेला था। तीन बेटियां व दो बेटे हैं। उसकी सकुशल घर वापसी की उम्मीद लगाए बैठा परिवार मुफलिसी में जी रहा है। वृद्ध माता-पिता के सामने तो जब भी कोई श्रीराम को जिक्र करता है तो दोनों की आंखें भर आती है और गला रुंध जाता है।
विदेश मंत्री तक लगा चुके हैं गुहार
श्रीराम की रिहाई के लिए उसका बेटा नरेश झुंझुनूं सांसद से लेकर विदेश मंत्री तक गुहार लगा चुका है, मगर रिहाई की कोई उम्मीद कहीं से नजर नहीं आई। श्रीराम की पत्नी संतोष देवी का कहना है कि सरकार हमारी मदद करें तो पति घर आ सकता है। बीमा क्लेम के राशि इतनी ज्यादा है कि हम उसे चुका भी नहीं सकते
Bureau Report
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