सबसे कम उम्र की ‘शांति दूत’ बनीं 19 वर्षीय मलाला, महिला शिक्षा पर प्रतिबन्ध के खिलाफ छेड़ी हुई है ‘जंग’

सबसे कम उम्र की 'शांति दूत' बनीं 19 वर्षीय मलाला, महिला शिक्षा पर प्रतिबन्ध के खिलाफ छेड़ी हुई है 'जंग'न्यूयॉर्क : संयुक्त राष्ट्र ने नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई को शांति दूत बनाया है। सयुंक्त राष्ट्र के महासचिव ऐंतोनियो गुतेरस न्यूयॉर्क मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान सोमवार को 19 वर्षीय मलाला को शांति दूत के रूप में नामित किया है। 

इस दौरान गुतेरस ने कहा कि मलाला यूसुफजई की महिलाओं, लड़कियों और बाकी सभी लोगों के अधिकारों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण उन्हें शांति दूत के रूप में नामित किया गया है। 

इधर मलाला ने कहा, ‘ उन्हें संयुक्त राष्ट्र के शांति दूत के रूप में सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर मैं फिर से सभी लड़कियों को शिक्षा के समान अवसर की अपील करती हूं। ‘

उन्होंने कहा, ‘ शिक्षा सभी बच्चों को मूलभूत अधिकार है, खासकर लड़कियों के लिए, इसे नकारा नहीं जा सकता है। ‘

गौरतलब है कि पाकिस्तान की स्वात घाटी में पैदा हुईं मलाला उस वक्त अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आईं, जब लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ते हुए 9 अक्टूबर 2012 को तालिबान ने उन्हें गोली मार दी। उन्होंने तालिबान द्वारा महिलाओं की शिक्षा पर लगाए गए प्रतिबंध का विरोध किया था। 

युसूफजई को साल 2014 में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला। सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली मलाला अब सबसे कम उम्र में संयुक्त राष्ट्र की शांति दूत भी बन गईं है। 

Bureau Report

 

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