नर्इदिल्ली: कश्मीर घाटी में आतंकी हिंसा में 27 सालों में 40 हजार से ज्यादा जानें जा चुकी हैं। इनमें 13941 नागरिक, 21965 आतंकी हैं। जबकि 5055 जवान शहीद हुए आैर 13502 घायल हुए।
एक आरटीआर्इ के जवाब में गृह मंत्रालय ने वर्ष 1990 से 9 अप्रेल 2017 तक हुर्इ मौतों का ब्योरा दिया है। यह 1962 में चीन के साथ व 1965, 1971, 1999 पाक के में साथ युद्घ में मौतों से ज्यादा है। इन युद्घों में लगभग 9000 ये ज्यादा भारतीय शहीद हुए थे।
2001 में 536 जवान हुए शहीद
तीन दशक के हिंसा के दौर में मौत के लिहाज से वर्ष 2001 सर्वाधिक हिंसक रहा। इस वर्ष हुर्इ 3552 मौत की घटनाआें में 996 स्थानीय आैर 2020 आतंकी मारे गए। जबकि सुरक्षा बल के 536 जवान शहीद हुए। स्थानीय नागरिकाें की सबसे ज्यादा मौत(1341) वर्ष 1996 में हुर्इ। जबकि 1995 में 1031 नागरिक मारे गए।
2006 से 2012 के बीच आर्इ गिरावट
वर्ष 2006 से 2012 के बाद आतंकी घटनाआें से संबंधी नुकसान में काफी गिरावट देखने को मिली। 2012 में सिर्फ 102 की मौत हुर्इ, जिनमें 15 नागरिक, 82 आतंकी शामिल हैं। जबकि 15 जवान शहीद हुए। आरटीआर्इ में मंत्रालय ने कश्मीर की आतंकी हिंसा में संपत्ति को हुए नुकसान की जानकारी देने से इनकार कर दिया। आवेदक रमन शर्मा से कश्मीर सरकार से यह जानकारी मांगने को कहा है।
2016 में फिर बढ़ी आतंकी घटनाएं
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2013 के बाद आतंकी घटनाआें के चलते होने वाली मौत का आंकड़ा एक बार फिर बढ़ने लगा। वहीं वर्ष 2013 में 2012 के मुकाबले इसमें दोगुना बढ़ोतरी देखी गर्इ। इस दौरान 247 लोगों की मौत हुर्इ। जिनमें 15 नागरिक व 150 आतंकी शामिल थे। जबकि 82 जवान शहीद हुए। वहीं वर्ष 2017 में 31 मार्च तक 52 लोगों की मौत हुर्इ जिनमें 5 नागरिक व 35 आतंकी शामिल हैं। जबकि 12 जवान शहीद हुए।
Bureau Report
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