नर्इदिल्ली: कश्मीर के बिगड़ते हालातों के बीच ये सवाल अक्सर हमें परेशान करता है कि आखिर कैसे कश्मीरी युवकों को गुमराह कर आतंक के रास्ते पर भेजा जाता है। आजादी की नारेबाजी, पत्थरबाजी आैर प्रदर्शनों का दौर हमने पिछले कुछ दिनों में काफी देखा है। कश्मीर में ‘आजादी की आग’ लगाने में टीवी चैनल्स का भी कम योगदान नहीं है। हालांकि ये चैनल्स भारतीय नहीं बल्कि पाकिस्तानी आैर सऊदी अरब के हैं। इन चैनल्स को कश्मीर में प्रसारित किया जा रहा है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, कश्मीर में प्राइवेट केबल नेटवर्क 50 से ज्यादा सऊदी आैर पाकिस्तानी चैनल्स का प्रसारण कर रहा है। जिसके जरिए सऊदी मौलवियों आैर पाकिस्तानी न्यूज एंकर्स की घरों तक सीधे पहुंच होती है। खास बात है कि इन चैनल्स को बिना अनुमति के प्रसारित किया जा रहा है।
अखबार के मुताबिक विवादित मुस्लिम धर्मगुरु जाकिर नार्इक का प्रतिबंधित पीस टीवी आैर भारत विरोधी विचारों वाले कर्इ चैनल्स शामिल हैं। ये सब हो रहा है पीडीपी-भाजपा गठबंधन वाली सरकार की नाक के नीचे। यहां तक की इनमें से कुछ केबल नेटवर्क तो सरकारी इमारताें से संचालित किए जा रहे हैं।
घाटी में सैटेलाइट टीवी सर्विस मौजूद है। बावजूद इसके स्थानीय लाेगों की पहली पसंद प्राइवेट केबल नेटवर्क है। अकेले श्रीनगर में ही 50 हजार से ज्यादा प्राइवेट केबल कनेक्शन हैं। इस तरह के केबल नेटवर्क के जरिए कश्मीर में जाकिर नार्इक के पीस टीवी उर्दू व इंग्लिश के साथ ही सऊदी सुन्नाह, अल अरबिया, पैगाम, हिदायत, नूर, मदानी, करबला, बेथत, अहलीबत, जिया न्यूज, एरे न्यूज, डाॅन टीवी आैर अन्य कर्इ सऊदी आैर पाकिस्तानी चैनल दिखाए जा रहे हैं।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की आेर से एेसे किसी भी चैनल को दिखाने की अनुमति नहीं है। मंत्रालय के डायरेक्टर अमित कोटच का कहना है कि यदि किसी चैनल को मंत्रालय की वेबसाइट पर अनुमति सूची में शामिल नहीं किया गया है तो उसे दिखाना अवैध है। इसके लिए मंत्रालय से अनुमति लेने की आवश्यकता होगी।
Bureau Report
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