नईदिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय के डिजिटलीकरण से संबंधित एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे। जहां उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हर रोज नए बदलाव और अन्वेषण हो रहे हैं। ऐसे में भारत को भी दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए नई सोच अपनानी होगी। पीएम मोदी ने कहा कि अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हम पीछे रह जाएंगे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया नई सोच के साथ आगे बढ़ रही है और भारत को यदि इस दौड़ में शामिल रहना है तो उसे कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए उसी सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। साथ ही कहा कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है जरूरत है उन्हें सही समय और उचित स्थान पर इस्तेमाल करने की।
पीएम मोदी ने डिजिटलीकरण से संबंधित एक कार्यक्रम में देश के कानूनविदों और न्यायविदों से अपील किया कि वे नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके न्यायिक व्यवस्था में नई क्रांति तो लाये ही, साथ ही गरीबों की सेवा भी करें। इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और शीर्ष अदालत के कई अन्य न्यायाधीश उपस्थित थे।
सर्वोच्च न्यायालय को कागजरहित बनाने के लिए बुधवार को इंटिग्रेटिड केस मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम (आईसीएमआईएस) लॉन्च किया गया। गौरतलब है कि आईसीएमआईएस मामलों की डिजिटल फाइलिंग यानी ई-फाइलिंग में मदद करती है और वादियों को ऑनलाइन सूचना हासिल करने की सुविधा प्रदान करती है। पीएम मोदी ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद की मौजूदगी में आईसीएमआईएस को सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया।
न्यायमूर्ति केहर ने भारत में न्याय वितरण प्रणाली में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि ई-फाइलिंग सबसे बेहतर प्रणाली है। उनका कहना कि इससे वकीलों को ई-फाइलिंग करने का विकल्प मिलेगा और वे अपने कार्यालयों से ही याचिका दायर कर सकते हैं, उन्हें रजिस्ट्री के पास आने की जरूरत नहीं है। अब तक ई-फाइलिंग सबसे बेहतर प्रणाली है। जिसके जरिए पर्यावरण की रक्षा में भी मदद मिलेगी।
Bureau Report
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