कोटा: किशोरवय में मोबाइल हाथ में आने के क्या दुष्परिणाम हैं, इसका एक चिंताजनक उदाहरण सामने आया है। जिस उम्र में बच्चों को खेलना-कूदना और पढऩा चाहिए, उस उम्र में बच्चे इंटरनेट के दुरुपयोग, पोर्न साइट, गेम्स व एडल्ट्स मूवी देखने की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
अपने सहपाठियों की ‘पोर्न की लत’ से व्यथित कोटा के नयापुरा हरिजन बस्ती निवासी 12वीं के छात्र आकाश नरवाला ने ऐसी सभी साइट्स को बैन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है।
आकाश ने सुप्रीम कोर्ट में पोर्नोग्राफी के खिलाफ पिछले 4 साल से लड़ाई लड़ रहे इंदौर के वकील कमलेश वासवानी की याचिका में पक्षकार बनने की इच्छा जाहिर की। इसके लिए उन्होंने इस आशय का शपथ पत्र पिछले सप्ताह अपने वकील विजय पंजवानी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया।
शपथ पत्र में ये बताया
मेरे कुछ दोस्त पोर्न साइट्स देखने के आदी हो चुके हैं।
कक्षा 4 तक के छात्र एक दिन भी बिना पोर्न देखे नहीं रह सकते।
मैं दोस्तों की इस लत से परेशान हो चुका हूं।
पोर्न की लत से वो मानसिक दिवालियापन की कगार पर हैं।
यह उनके शारीरिक व मानसिक विकास में बाधक बन गई है।
ये हैं नुकसान
आकाश ने बताया कि इंटरनेट पर पोर्न आसानी से उपलब्ध है। यह देश के विकास में बाधक है। इसी वजह से यौन अपराध, वैवाहिक जीवन में गतिरोध एवं पारिवारिक मूल्यों का पतन हो रहा है।
चला रहे आंदोलन
आकाश सोशल एक्टिविस्ट हैं। वह 2015 से दुष्कर्म मुक्त भारत आंदोलन चला रहे हैं। इसके तहत विभिन्न स्कूलों में टीम के साथ जाकर मोटिवेशनल सेमिनार व कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
इंदौर के वकील ने 2013 में दायर की थी याचिका
इंदौर के एडवोकेट कमलेश वासवानी ने वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट में पोर्न साइट्स को ब्लॉक करने के लिए याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान केंद्र ने शुरुआत में चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर रोक लगाने पर सहमति जताई थी, लेकिन बाकी साइट्स पर रोक लगाने में असमर्थता जताते हुए कहा था कि यह ग्रे-एरिया है और इसमें मॉरल पुलिसिंग नहीं हो सकती। लोग बेडरूम में क्या देखते हैं, इसे कैसे रोका जा सकता है? हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र ने एक्शन लेना शुरू किया। कुछ पोर्न साइट्स को बैन किया गया है।
खराब होती है नीयत
आकाश की ओर से शपथ पत्र में बताया गया कि पोर्न साइट्स किशोरों को ऑब्जेक्टिफिकेशन (गलत नीयत से देखना) सिखाता है। यानी छोटे लड़के-लड़कियों और महिलाओं को गलत नीयत से देखना।
पोर्न शेयर करना गुनाह
आईपीसी की धारा 292, पोक्सो एक्ट की धारा-12 व 13, आईटी एक्ट-67 और इंडीसेंट रिप्रजेंटेशन ऑफ विमिन एक्ट में पॉर्न सामग्री स्टोर करना या शेयर करना अपराध है।
Bureau Report
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